cbse class 12 notes || शिशुनाग वंश और नंद वंश का इतिहास summary in hindi

cbse class 12 notes || शिशुनाग वंश और नंद वंश का इतिहास summary in hindi

cbse class 12 notes || शिशुनाग वंश और नंद वंश का इतिहास summary in hindi
cbse class 12 notes || शिशुनाग वंश और नंद वंश का इतिहास summary in hindi


Intro - नमस्कार दोस्तो! आज हम इस ब्लॉग पोस्ट में  cbse class 12 notes || शिशुनाग वंश और नंद वंश का इतिहास summary in hindi  को जानेंगे ।  शिशुनाग वंश क्या है तथा उसका इतिहास , उनके वंशज आदि को अच्छे तरीके से जानेंगे। नंद वंश के विभिन्न राजाओं के बारे में आज हम read करेंगे तो बने रहिए इस ब्लॉग पोस्ट में।


शिशुनाग वंश

हर्यक वंश के बाद शिशुनाग ने जो वंश की नींव डाली उसे शिशुनाग वंश के नाम से जाना जाता है । शिशुनाग ने पाटलिपुत्र के साथ-साथ वैशाली को भी राजधानी बनाई। इसका कारण यह था कि वह तराई क्षेत्र के व्यापारिक तथा उत्पादन क्षेत्रों को अपने काबू में करना चाहता था। लेकिन बाद में शिशुनाग ने वैशाली को मगध की मुख्य राजधानी बना दिया।


cbse class 12 notes || शिशुनाग वंश और नंद वंश का इतिहास summary in hindi


शिशुनाग की राजनैतिक उपलब्धियां (cbse class 12)
 

शिशुनाग ने अवंती तथा वत्स को दोनों को जीत लिया। इनके यह विजय से पहली बार मगध की सीमा मालवा तक विस्तारित हो गया । परंतु यदि हम से शिशुनाग वंश के  राजाओं की बात करें तो या कठिन समस्या है क्योंकि शिशुनाग वंश में कितने राजा हैं । इनका कुल विवरण करना काफी कठिन है। इतिहासकार को भी इसका कोई पक्का सबूत नहीं मिला है। परंतु कालाशोक शिशुनाग वंश के एक ऐसे राजा थे। जिनका विवरण मिलता है परंतु उनके पुत्रों का विवरण समय नहीं मिलता है।


कालाशोक तथा इनका मगध पर योगदान

कालाशोक ने वैशाली को हटाकर फिर से पाटलिपुत्र को राजधानी बना दिया । कालाशोक ने मगध की सीमा विस्तार में कोई योगदान तो नहीं दिया। परंतु इसकी संस्कृति में अवश्य योगदान दिया । कालाशोक के समय ही द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया ा । 

इस द्वितीय बौद्ध संगीति में बौद्ध धर्म का बंटवारा दो संप्रदायों में हो गया। एक स्थिरवाद दूसरा महासंखिये चतुर्थ बौद्ध संगीति में महासंखिये एक संप्रदाय से महायान तथा स्थिरवाद से हीनयान का उत्पत्ति हुआ। 

कालाशौक के 10 पुत्र परंतु उनकी इतिहासिक जानकारी नहीं मिलती है । इन 10 पुत्रों की संख्या का पता हमें महाबोधि वंश से पता चलता है । इस शिशुनाग वंश का अंतिम शासक नंदीवर्धन था ।


(class 12 history book, cbse class 12, cbse class 12 notes, cbse class 12 notes || शिशुनाग वंश और नंद वंश का इतिहास summary in hindi)


बाणभट्ट के हर्ष चरित्र तथा कालाशोक की मृत्यु


बाणभट्ट के हर्ष चरित्र से हमें यह पता चलता है कि महापद्मा नंद ने  कालाशोक के खराब राजनीति से परेशान होकर कालाशोक की हत्या करवा दी । 

परंतु इसके बाद महापद्मनंद ने सत्ता अपने हाथ में नहीं लिया । वह सत्ता को उनके 10 पुत्रों के हाथों में सौंप दिए तथा उनका मार्गदर्शन करवाएं। 

परंतु उनके पुत्र भी एक अयोग्य शासक निकले । जिसके कारण जब नंदीवर्धन राजा बना तो महापद्मा नंद ने सत्ता अपने हाथों में ले लिया और नंद वंश की नींव डाली।


नंद वंश और साम्राज्य( 344 से 324 ईसा पू0)


नंद वंश को शूद्र क्यों कहा गया ?

 
नंद वंश का संस्थापक महापद्मा नंद था । महापद्मा नंद को बौद्ध ग्रंथ में डाकुओं का राजा कहां गया है । जैन धर्म में इन्हें गणिका से उत्पन्न नापित संतान कहा गया है। 

कार्डियक भी इन्हें नापित संतान कहते हैं। पुराणों में महापद्मा नंद को शुद्र कहा गया है। इसीलिए नंद वंश वंश को शुद्ध कहा जाता है। शुद्र होने के कारण यह जैन धर्म को अपना लिए ।


महापद्मनंद के उपाधि (cbse class 12 notes)

 
महापद्मा नंद को दो प्रमुख उपाधि मिले हैं । पहली द्वितीय परशुराम की तथा दूसरी एकरात की।

 

द्वितीय परशुराम महापद्मनंद को क्यों कहा गया है?

 
जिस प्रकार हम यह जानते हैं कि परशुराम ने 21 बार दुनिया में क्षत्रिय कुल का नाश कर दिया था। उसी प्रकार महापद्मा नंद ने भी यह कसम खाई थी कि वह भी क्षत्रिय कुल को इस देश से खत्म कर देंगे। क्योंकि वह खुद एक शुद्र थे।

 उस समय शुद्र से लोग काफी घृणा करते थे । जिसके कारण वे क्षत्रिय का नाश करने निकल गए । उन्होंने इस समय के जितने भी क्षत्रिय राजा थे । उन पर अपना कब्जा कर लिया । परंतु इन सभी में 8 गणराज्य भी थे । 

जिसमें बुद्ध के अंगों के अवशेष का बंटवारा हुआ था। इन राज्यों में से एक गणराज्य मुरी गणराज्य था। इस गणराज्य के राजा की हत्या महापद्मा नंद ने कर दिया था।

 इनकी पत्नी मुरि थी। मुरि अपने बच्चे की सुरक्षा हेतु महापद्मनंद से दूर चली गई ।मुरि ने दास धर्म को अपना लिया और जंगलों में जाकर मोर पालना आरंभ कर दिया ।

 उस समय दास लोग मोर पाला करते थे। जिसके कारण महापद्मनंद मुरि को नहीं पहचान पाए और उनकी हत्या भी नहीं कर पाए । मुरि के इस पुत्र नहीं आगे चलकर मौर्य वंश का स्थापना किया था। 

इस इस प्रकार महापद्मनंद को द्वितीय परशुराम कहते हैं ।


(class 12 history book, cbse class 12, cbse class 12 notes, cbse class 12 notes || शिशुनाग वंश और नंद वंश का इतिहास summary in hindi)


महापद्मनंद को एकरात क्यों कहा गया है ?


ऐतरेय ब्राह्मण ग्रंथ में पहली बार चक्रवर्ती सम्राट की संज्ञा दी गई है। चक्रवर्ती सम्राट उन्हें कहते हैं जो चारों दिशाओं में अपना दबदबा बनाकर रखते हैं। 

ऐतरेय  ब्राह्मण ग्रंथ में पूर्व दिशा के राजा को सम्राट ,उतरी दिशा के राजा को विराट, दक्षिणी दिशा के राजा को भोज , पश्चिमी दिशा के राजा को स्वराठ तथा मध्य देश के राजा जो चारों दिशाओं में अपना दबदबा बनाकर रखते थे। 

उन्हें एकरात कहां जाता था। इसी कारण से महापद्मनंद को एकरात कहा गया है क्योंकि वह मध्य प्रदेश के राजा थे ।
महापद्मा नंद को महापद्मपति भी कहा गया है महापद्मपति उन्हें कहते हैं जिनके पास बड़ी राजकोष होती है ।

 
यूनानीयों ने इन्हें अग्रसेन कहां है । अग्रसेन उन्हें कहते हैं जिनके पास बड़ी सेना होती है । इस प्रकार हम महापद्मा नंद की उपाधियों को समझें ।

Click here for class 6 notes

नंद वंश की राज्य विस्तार


नंद वंश का सम्राज्य भारत के 70 प्रतिशत भू भाग पर फैला हुआ था। नंद वंश ने कलिंग को अपना अधीन किया । उसके बाद वहां नहरों का निर्माण करवाया। जिससे कलिंग राज्य का विस्तार हुआ। उसके बाद अंग, बिहार के मिथिला, पंचांग तथा दक्षिण भारत के हेल्य आदि जगहों को अपने अधीन कर लिया।


महाबोधि वंश में महापद्मा नंद के पुत्रों का उल्लेख


महाबोधि वंश के अनुसार महापद्मा नंद के 10 पुत्र थे।
10 पुत्रों के नाम इस प्रकार हैं
क्रमश, उब्रसेन ,पांडू ,पांडूगति ,गुपकाल ,शककाल ,गोभीसान केवर्ध , दाससीधाक, घनानंद।


घनानंद नंद वंश का अंतिम सम्राट


घनानंद का दूसरा नाम अग्रमिज  है ।अग्रसेव घनानंद का तीसरा नाम  है। इनका मंत्री शकताल है और इनका सेनापति भद्रसाल है । घनानंद काफी घमंडी राजा थे।


नंद वंश महत्वपूर्ण विषय


नंद वंश को प्रथम साम्राज्य निर्माण करने वाला वंश भी कहते हैं। यह वंश क्षत्रिय और ब्राह्मणों को नहीं मानते थे। यह वंश अपना राज्य विशेष भी नहीं किया करते थे ।

 राज्य विषयक वैदिक रीति रिवाज है इसी कारण से वे नही करते थे। इस समय पद वंशानुगत था । 

इस वंश में काफी विद्वानों का उदय हुआ है । जैसे पाणिनि, कात्यायन, वर्ष, उपवर्ष ।
इस समय बाट माप का भी मानवीकरण हुआ । मुद्रा व्यवस्था काफी फैला ।


(class 12 history book, cbse class 12, cbse class 12 notes, cbse class 12 notes || शिशुनाग वंश और नंद वंश का इतिहास summary in hindi)


निष्कर्ष

एस ब्लॉक पोस्ट में हमने( cbse class 12 notes || शिशुनाग वंश और नंद वंश का इतिहास summary in hindi) शिशुनाग वंश और नंद वंश के इतिहास को समझा।

 इतिहास में किस प्रकार यह दोनों वंश अपना विस्तार किए। उसके राजनीतिक षड्यंत्र तथा कूटनीति को आज हमने इस पोस्ट के माध्यम से समझा । 

तो इसी प्रकार इंटरेस्टिंग और इनफॉर्मेटिव ब्लॉक पोस्ट के लिए हमारे  नोटिफिकेशन बैल को ऑन करें।

Dreamers

I am a story writer. I can write very interesting and impressive story

Post a Comment

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post