ncert शीत युद्ध (cold war) और उसके परिणाम संदर्भ सहित
इस पोस्ट में हम शीत युद्ध को समझेंगे तथा नीचे लिखे गए सभी बिंदुओं की चर्चा करेंगे
- शीत युद्ध और उसके परिणाम संदर्भ सहित
- शीत युद्ध के दौरान भारत की अमेरिका और सोवियत संघ के प्रति विदेश नीति क्या थी
- शीत युद्ध की प्रकृति लिखिए कोई चार
- शीत युद्ध के कारणों की व्याख्या कीजिए (शीत युद्ध की समाप्ति के कारण )
- शीत युद्ध के कारण और परिणाम (शीत युद्ध के परिणाम लिखिए)
- शीत युद्ध निष्कर्ष
- शीत युद्ध पूर्णता कब समाप्त माना जाता है
- भारत और शीत युद्ध पर निबंध
- शीत युद्ध किन साधनों से लड़ा जाता है
- शीत युद्ध की समाप्ति की घोषणा किसने और कब की
शीत युद्ध और उसके परिणाम संदर्भ सहित
शीत युद्ध
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात सोवियत संघ तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच तनावपूर्ण संबंध बनने लगे । इस तनावपूर्ण स्थिति को ही शीत युद्ध कहां गया । इस स्थिति में युद्ध बुद्धि तथा कौशल से लड़ा गया। जिसमें किसी भी प्रकार की हथियारों का प्रयोग नहीं किया गया ।शीत युद्ध के परिणाम संदर्भ सहित
- शीत युद्ध का परिणाम था कि विश्व दो बड़े गुटों में विभक्त हो गया । एक सोवियत संघ तथा दूसरा संयुक्त राज्य अमेरिका। सोवियत संघ ने वारसा पेक्ट का निर्माण किया । वहीं संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने नाटो का गठन किया ।
- दोनों ही गुट अपने आप को एक दूसरे से अच्छा तथा शक्तिशाली मानते थे ।अपना वर्चस्व विश्व में कायम करना चाहते थे । जिसके कारण गुटनिरपेक्ष नामक गुट का उदय हुआ । जो भारत द्वारा गठन किया गया ।
शीत युद्ध के दौरान भारत की अमेरिका और सोवियत संघ के प्रति विदेश नीति क्या थी ?
- भारत में शीत युद्ध के दौरान अपनी विदेश नीति में गुटनिरपेक्षता को जोड़ा । भारत विश्व के किसी भी गुट के साथ शामिल नहीं होना चाहता था ।
- प्रधानमंत्री नेहरु जी ने किसी भी गुट का साथ देने से साफ मना कर दिया। परंतु सन 1971 के युद्ध में जब अमेरिका ने पाकिस्तान का सहयोग दिया ।
- तब कुछ शर्तों के साथ भारत ने सोवियत संघ की मदद मांगी। गुटनिरपेक्षता का उदय भारत ने किया। पहला गुटनिरपेक्षता का सम्मेलन सन 1961 में बेलग्रेड में हुआ ।
शीत युद्ध की प्रकृति लिखिए कोई चार
1.शीत युद्ध एक तनावपूर्ण स्थिति थी । जो सोवियत संघ तथा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के बीच लड़ी गई । सिर्फ अपने आप को एक दूसरे से अधिक शक्तिशाली बताने हेतु यह लड़ाई लड़ी गई।2. यह लड़ाई सिर्फ वाद-विवाद से लड़ी गई । इस युद्ध में किसी भी प्रकार की हथियारों का प्रयोग नहीं किया गया।
3.विश्व में अपना वर्चस्व कायम करने हेतु विश्व के 2 बड़े देश एक दूसरे से तृतीय विश्व युद्ध करने को तैयार थे।
4.यह युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लड़ी गई। परंतु सिर्फ वाद-विवाद हुई । किसी भी प्रकार की भयानक गोलाबारी इस युद्ध में नहीं देखने को मिली । जैसा कि हम द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के साथ देखते हैं।
शीत युद्ध के कारण और परिणाम( sheet yudh ke karan bataiye)
शीत युद्ध के कारण और परिणाम निम्न हैं-
1.याल्टा समझौतों का निरादरयाल्टा समझौते में कुछ शर्तें रखे गए थे। परंतु सोवियत संघ ने उसका निरादर किया ।
परिणाम- याल्टा समझौते के निरादर के कारण दोनों ही गुटों में मतभेद आरंभ हो गए।
2.ईरान में रूसी सेनाओं का गुट
द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ,ब्रिटिश तथा सोवियत की सेना ने ईरान पर अपना सेनाओं का गुट बनाया था । ताकि ईरान पर अपना कब्जा जमा कर रखा जाए।
परंतु युद्ध के पश्चात अपनी सेनाओं को वहां से हटाने थी । अमेरिका तथा ब्रिटेन ने तो अपनी सेनाओं वहां से हटा ली । परंतु सोवियत संघ की सेना वहां से नहीं हटी ।
परिणाम - ऐसा होने के कारण यह मामला संयुक्त राष्ट्र की महासभा व सुरक्षा परिषद में उठा ।
3.समाजवादी व्यवस्था का विरोध
सोवियत संघ में 1917 में समाजवादी राज्य बना। जिसके कारण पूंजीवादी राज्यों ने समाजवादियों का विरोध करना आरंभ कर दिया ।
परिणाम - समाज दो दलों में बट गया। एक पूंजीवाद तथा दूसरा समाजवाद।
4.सोवियत विरोधी प्रचार
पूंजीवादी देश व अमेरिका ने सोवियत विरोधी प्रचार आरंभ कर दिए । जिससे सोवियत संघ का विरोध चारों तरफ सुनने को मिलने लगा ।
परिणाम - सोवियत संघ ने भी अमेरिका विरोधी प्रचार आरंभ कर दिए । अन्य गुटों का उदय दोनों ही महा शक्तियों ने अनेक गुटो का निर्माण करने लगे ।
परिणाम- संसार में कई गुटो का उदय होने लगा ।
शीत युद्ध कब समाप्त माना जाता है ?
शीत युद्ध सन 1991 को कई विद्वानों के अनुसार समाप्त माना जाता है । जिसमें सोवियत संघ का विघटन हो गया तथा रूस विश्व के मानचित्र में उभर कर आया।भारत तथा शीत युद्ध पर निबंध ।
- शीत युद्ध तथा भारत एक-दूसरे से काफी अलग अलग रहे हैं। नेहरु जी ने शीतयुद्ध से भारत को दूर रखा था । जब सन् 2 सितंबर 1946 को भारत में आंतरिक सरकार का चुनाव हुआ और नेहरू जी चुने गए ।
- तभी ही नेहरू जी ने विश्व को संकेत देते हुए कहा कि भारत ऐसे युद्ध से दूर ही रहेगा । भारत की आजादी सन् 1947 मैं हुई । इस समय भारत की आर्थिक स्थिति कुछ अच्छी नहीं थी ।
- इस स्थिति में भारत सरकार अपना विकास चाहती थी ना कि युद्ध । जिसके कारण भारत ने गुटनिरपेक्षता को चुना । भारत ने विश्व के सभी छोटे देशों का गुटनिरपेक्षता का सहयोग करने को कहा ।
- परंतु आरंभ में इसका विरोध किया गया । बाद में यह गुट प्रसिद्ध होने लगा। भारत ने शीत युद्ध जैसे तनावपूर्ण युद्ध का कभी भी सहयोग नहीं दिया ।
शीत युद्ध किन साधनों से लड़ा जाता है
शीत युद्ध विशेष तौर पर मानव की बुद्धि और कौशल से लड़ा गया युद्ध था। इसमें किसी भी प्रकार की हथियारों का प्रयोग हमें नहीं देखने को मिला । शीतयुद्ध एक तनावपूर्ण स्थिति को कहते हैं । जो सन् 1945 के बाद देखी गई ।शीत युद्ध की समाप्ति की घोषणा किसने और कब की?
शीतयुद्ध की समाप्ति की घोषणा मिखाइल गोर्बाचेव ने सन 1971 में की । मिखाइल गोर्बाचेव समझ चुके थे कि उनकी जनता की क्या मांग है। जनता सरकार से क्या चाहती है? जिसके परिणाम स्वरूप हमें शीत युद्ध का अंत देखने को मिला।
शीत युद्ध का निष्कर्ष
- शीत युद्ध एक ऐसा योद्धा था जिसमें विश्व को सदैव तृतीय विश्व युद्ध की आशंका लगी रहती थी । यह युद्ध एक तनावपूर्ण गतिविधियों से चलता रहा।
- इसका समय काल सन् 1945 से 1971 तक माना जाता है। इस पूरे समय काल में मानव विकास की तोहिन होती रही । विश्व के लोगों को यह भय हमेशा बना रहता था कि कभी भी संपूर्ण संसार तीसरे विश्वयुद्ध के चपेट में आ सकता है ।
- परंतु मिखाइल गोर्बाचेव की नीतियों के कारण तथा अनेक राजनीतिक गतिविधियों के कारण सोवियत संघ का विघटन हो गया तथा शीत युद्ध सन् 1991 में खत्म हो गया ।
- अब संसार पर संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का वर्चस्व कायम हो गया।