इतिवृत्त तथा मुगल साम्राज्य अकबर का युद्ध तथा विजय

 इतिवृत्त तथा मुगल साम्राज्य अकबर का युद्ध तथा विजय

परिचय - आज हम इस Blog Post (पोस्ट )में इतिवृत्त का इतिहास तथा अकबर की प्रमुख लड़ाइयां एवं विजियों पर चर्चा करेंगे।



इतिवृत्त क्या है

गिरजा शंकर महोदय ने बताया है कि इतिवृत्त उस वंश चरित्र तथा जीवन चरित्र को कहते हैं । जिनमें सत्य की पुष्टि करते हुए राजकीय प्रलेखों,प्रस्तियो के द्वारा इतिहास को जानने की तथा लिखने का प्रयत्न किया गया है । उन्होंने हर्ष चरित्र जो बाणभट्ट द्वारा लिखा गया है तथा राज तरंगिणी जो कल्हन के द्वारा लिखा गया है। इतिवृत्त के अंदर आते हैं क्योंकि इनमें काफी ऐतिहासिक स्रोत मिलते हैं।


इतिवृत्त ka इतिहास

शासन वंशजों के राज तरंगिणी को इतिवृत्त में पूर्ववर्ती इतिवृत्त प्राचीन लिखो तथा राजकीय आलेखों के आधार पर लिखा गया है। इतिवृत्तकार में बाणभट्ट अपेक्षा कल्हन को मिश्र महोदय ने अधिक संतुलन माना है । इतिवृत्त में शासकों को किए गए कार्य मुगल काल के बादशाहों ने अपने-अपने दरबारियों से अपनी प्रमुख जानकारियां लिखवाए हैं। इन दरबारियों ने अपने समय की सभी जानकारियां लिखे तथा राज्य के सभी महत्वपूर्ण जानकारियां हमें प्रदान किए।


कुछ महत्वपूर्ण इतिवृत्त मुगल काल के निम्न हैं-

  • अकबरनामा 
  • इकबालनामा-ए-जहांगीरी
  • बादशाहनामा
ये सभी मुगल काल की प्रमुख जानकारियां हमें प्रदान करती हैं। जो इस समय घटित हुई थी।


मुगल काल की जानकारियां जो इतिवृत्त से मिली हैं -
इतिवृत्त से हमे काफी जानकारियां मिलती हैं । जैसे शासन शासक कैसे किया करते थे ? शासन प्रणाली किस प्रकार की राजाओं की होती थी ?
Note- ( अगर यदि हमें मुगलों की जानकारियां हमें चाहिए तो हम इतिवृत्त की मदद ले सकते हैं  )

 
इन सभी इतिवृत्त उसे हमें मुगल के काफी जानकारियां प्राप्त होती हैं ।  मुगलकालीन घटनाक्रमों की सभी छोटी-से-छोटी तथा बड़ी-से-बड़ी जानकारियां हमें इन इतिवृत्त से मिलती है। इनमें दरबारी राजाओं द्वारा आरंभ किए गए सभी नियमों की विशेष रूप हमें प्राप्त होती हैं । इतिवृत्त हमेशा ही जानकारियां प्रदान करते हैं । प्राचीन काल की सही विचारधारा  नियम कानून दरबारी क्रियाकलाप तथा कुछ काफी महत्वपूर्ण जानकारियां हमें इनकी सहायता से ज्ञात होता है । अतः हम यह कह सकते हैं कि मुगल काल की जानकारियों के लिए इतिवृत्त काफी महत्वपूर्ण स्रोत है ।
आगे हम सम्राट अकबर के किए गये युद्ध तथा विजयो पर चर्चा करेंगे।


अकबर तथा उसके किए गए युद्ध


हम जानते हैं कि जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर का जन्म सन् 1542 इशा में हुआ था। अकबर की माता जी का नाम हमीदा बानो बेगम था। तथा पिताजी का नाम हुमायूं था । अपने पिताजी की मृत्यु की खबर अकबर को गुरु दानपुर के पास कलानौर में मिला। 14 फरवरी 1556 को कलानौर में अकबर को बादशाह घोषित कर दिया गया ।

 
बादशाह घोषित करते समय अकबर की आयु मात्र 14 वर्ष की थी । इसी कारण शासन की बागडोर बैरम खान को दे दिया। वे शासन वर्ग का काम तथा अकबर के संरक्षण के रूप में खड़े किए गए थे । बैरम खा ने हेमू को 5 नवंबर 1556 को पानीपत के  दूसरे युद्ध में हरा दिया । इस तरह बैरम खा ने अकबर का एक शत्रु कम कर दिया। बैरम खां अकबर की शिक्षा दिलाना चाहते थे । जिसके लिए उन्होंने अब्दुल लतीफ को अकबर का शिक्षक नियुक्त किया। लेकिन-लेकिन अकबर को पढ़ाई लिखाई में जरा सा भी मन नहीं लगता था। जिसके कारण उन्होंने शिक्षा ग्रहण नहीं की । आरंभ के 4 वर्ष सत्ता की बागडोर बैरम खा ने संभाली परंतु 1560 दिशा में अकबर ने बैरम खा को हटाकर शासन वर्ग की बागडोर अपने हाथ में ले ली ।

 
1560 से 1562 के बीच अकबर अपनी दाई मां के पास रहा करते थे । उनसे प्रशिक्षण लेते थे। परंतु 1562 के बाद के समय से लेकर अकबर ने मुगल काल की शासन वर्ग की जिम्मेदारी अपने कंधों में ले।


अकबर की साम्राज्य विस्तार

गोंडवाना ,मालवा एवं जौनपुर विजय

1564 में अकबर ने गोंडवाना को जीता । जो अभी मध्य प्रदेश वाला राज्य है । गोंडवाना की राजकुमारी ने अकबर से कड़ा संघर्ष किया तथा अंततः वह वीरगति को प्राप्त हुई ।
अकबर ने संगीत प्रेमी बाज बहादुर को 1561 में हराया तथा मालवा को जीता साथ ही साथ जौनपुर को भी जीत लिया।

राजपूतों पर विजय

राजपूतों की शक्ति से अकबर काफी अवगत है । जिसके कारण वे राजपूतों को अपने शासन वर्ग में शामिल करना चाहते थे। अकबर जानते थे कि यदि राजपूत वर्ग उनके शासन प्रणाली में शामिल हो जाए  to वे अत्यधिक मजबूत हो जायेंगे।
जिसके कारण अकबर ने उनसे मैत्री का हाथ बढ़ाई । अकबर ने अपनी कूटनीति से राजपूतों के साथ विवाहित संबंध बनाए। तथा कई राजपूतों को अपने शासन वर्ग में शामिल होने के लिए आमंत्रित किए । जिनमें से कई राजपूतों ने स्वयं अकबर को चुन लिया ।
सबसे पहले अकबर ने कछवाहा राजपूत राजा भारमल की पुत्री हरका बाई से विवाह किया । भारमल के पुत्र भगवानदास एवं मान सिंह को अकबर ने शाही सेना पद दिया । मारवाड़ ,बीकानेर एवं जैसलमेर को 1570 में अंतत  मुगल साम्राज्य को स्वीकार करनी पड़ी।

अकबर द्वारा युद्ध तथा विजय

हल्दीघाटी का युद्ध

1568 ईशा में मुगलों ने मेवाड़ पर अपना अधिकार किया। इसके बाद 1572 में फिर से अधिकार कर लिया । राणा प्रताप को हल्दीघाटी के युद्ध जो 1576 में लड़ी गई उसमें उन्हे हार मिली तथा 1597 समय महाराणा प्रताप वीरगति को प्राप्त हुए।

गुजरात विजय

अकबर ने 1572 में गुजरात को जीता तथा समुद्री इलाके को प्रथम बार जीता इसके खुशी में अकबर ने फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजे का निर्माण कराया ।

काबुल एवं गंधार विजय

काबुल पर विजय अकबर ने 1581 में प्राप्त किया । 1595 इशा में गांधार पर फतह किया तथा 1586  में अकबर ने कश्मीर को जीता।

अहमदनगर पर विजय

अहमदनगर के विषय में मुगलों को चांदबीबी का सामना करना पड़ा । जो काफी प्रतिभाशाली महिला थी। 1600 में मुगलों ने अहमदनगर में विजय प्राप्त किया। (खानदेश) असीरगढ़ पर अकबर ने 1601 में विजय प्राप्त किया।

निष्कर्ष

इस प्रकार हम इस Blog Post  में इतिवृत्त और मुगल काल के प्रमुख सम्राट अकबर की महत्वपूर्ण युद्ध तथा विचारों की चर्चा किया। हमने इस Post में देखा के सम्राट किस प्रकार कार्य करते हैं ?
इस प्रकार की ऐतिहासिक तथा इतिहासिक जानकारियों के लिए हमारे Blog Post  पर बने रहे।

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