NCERT political science class 12 chapter 5 summary short notes 2021
Political science class 12
short notes
गैर कांग्रेस वाद का अर्थ व प्रभाव समय समझाइए
गैर कांग्रेस वाद आजादी के बाद से ही कुछ समाजवादी नेताओं ने देश में कांग्रेस विरोधी या यूं कहे गैर कांग्रेस वाद का राजनीतिक माहौल बनाने का प्रयास किया वास्तव में भारत विविधताओं वाला एक विशाल देश है। देश में सारा राजनीतिक माहौल और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी हुई स्थिति देश की दलगत राजनीति से अलग अलग नहीं कर सकती थी।विपक्षी दल जन विरोध की अगुवाई कर रहे थे ,और सरकार पर दबाव डाल रहे थे।
गैर कांग्रेस वाद का प्रभाव 1967 के आम चुनाव में यही हुआ कि गैर कांग्रेसी वोट विभिन्न उम्मीदवारों में बढ़ जाने के बजाय एक ही उम्मीदवार को मिला जिससे कांग्रेस की सीटों व मतों के प्रतिशत में भी गिरावट आ गई । इस चुनाव में कांग्रेस को 9 राज्यों में सरकारें खोनी पड़ी व केंद्र में भी कांग्रेस को केवल साधारण बहुमत ही प्राप्त हुआ ।
प्रिवी पर्स की समाप्ति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
प्रिवी पर्स की समाप्ति जब भारत को छोड़कर अंग्रेज गए और देश स्वतंत्र हुआ।उस समय लगभग 565 रजवाड़े या देशी रियासतें थी। देसी रियासतों का विलय भारतीय संघ में करने से पहले सरकार ने यह आश्वासन दिया था कि रियासतों के तत्कालीन शासक परिवार को निश्चित मात्रा में निजी संपदा रखने का अधिकार होगा। साथ ही सरकार की तरफ से उन्हें कुछ विशेष भत्ते भी दिए जाएंगे । यह दोनों चीजें जानी शासक की निजी संपत्ति और भत्ते इस बात को आधार मानकर तय की जाएगी कि जिस राज्य का विलय किया जाना है । उसका विस्तार राजस्व और क्षमता कितनी है। इस व्यवस्था को प्रिवी पर्स कहा गया।चौथे आम चुनाव 1967 पर एक लेख लिखिए
प्रस्तावना -भारत के राजनीतिक और चुनाव इतिहास को 1967 के वर्ष को अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है ।1952 के प्रथम चुनाव से लेकर 1966 तक कांग्रेस पार्टी के आम चुनाव का सारे देश के अधिकांश राज्यों और केंद्र में राजनीतिक दबदबा कायम रहा ।
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