charlie chaplin yani hum sab class 12 summary with question answer -2022

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विष्णु खरे - charlie chaplin yani hum sab class 12 summary 


लेखक         =  विष्णु खरे 

जन्म सन्      =  1940 छिंदवाड़ा( मध्य प्रदेश)

प्रमुख रचनाएं= एक गैर रूमानी समय में खुद, खुद अपनी आंख से, सबकी आवाज के पर्दे में ,पिछला बाकी,आलोचना की पहली किताब, सिनेमा पढ़ने के तरीके आदि ।


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प्रमुख पुरस्कार=  रघुवीर सहाय सम्मान, हिंदी अकादमी का सम्मान ,शिखर सम्मान आदि।


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इस कहानी में लेखक विष्णु खरे  मनोरंजन कार्यक्रम में सिनेमा के महत्व को बताते हुए, हमें चार्ली चैप्लिन नामक महान अभियंता के बारे में हमें बताते हैं।


charlie chaplin yani hum sab नामक महान अभिनेता का बड़ा योगदान है, विश्व के मनोरंजन कार्यक्रम में । इसीलिए " चार्ली चैप्लिन यानी हम सब"  नामक पाठ इस महान अभिनेता के भीतर के इंसान को जानने का अवसर देता है ।


" चार्ली चैप्लिन यानी हम सब " -charlie chaplin yani hum sab class 12 summary with question-answer! 


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प्रस्तुत लेख में विष्णु खरे ने फिल्मों के महान अभिनेता चार्ली चैप्लिन के महत्व का वर्णन किया है । 

चार्ली चैप्लिन की जन्मशती पर लिखे गए इस लेख में उनके कला की दुनिया में दिए गए योगदान और उनके जीवन के पहलुओं को बताया गया है ।

 चार्ली चैप्लिन समय भूगोल और संस्कृतियों की सीमाओं को पार कर भारत सहित विश्व के करोड़ों बच्चे को हंसाया है। उनके विश्व में बहुत कुछ कहा जा चुका है, तो भी अनुमान है कि आने वाले 50 वर्षों तक उनके बारे में कहा जाएगा ।


उनकी फिल्में भावनात्मक आधार पर होती थी । यही कारण है कि वैज्ञानिक मरीज सभी समान रूप से उनकी फिल्मों में रस लेते थे।

चैप्लिन ने दर्शकों की वर्ग तथा  वर्ण व्यवस्था को तोड़कर लोकतांत्रिक भावना को बल दिया है। उनके ऐसे करुणा मिश्रित किरदार ने पूरे विश्व को फसाया है ।


उन्हें बाद में अपनी माता के" पागलपन" से जूझना पड़ा और यही नहीं पूंजीवादी और साम्यवादी के नशे में चूर समाज की दुत्कार भी सहन कि।


उनकी नानी "खानाबदोश जाति " से संबंधित थी ,और उनके पिता "यहूदी" थे।

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इन्हीं कारणों से चार्ली हमेशा के लिए बाहरी और घुमंतू बन गए। करोड़पति बनने के बाद भी उन्होंने अपनी छवि नहीं तोड़ी। 


charlie chaplin yani hum sab ऐसे व्यक्ति थे। जिन पर बहुत अधिक लिखा जा चुका है । उनका मानना था, कि कला अपने सिद्धांत स्वयं लेकर आती है । 

यही कारण है उनका करुणा जनक किरदार आज भी लोगों के हृदय में बैठा हुआ है। उनकी 'हंसी ' इतनी जीवनदाई होती थी, कि लगता था मानव चरित्र जाना पहचाना सा प्रतीत होता है ।  चैप्लिन भावना को बुद्धि से अधिक महत्व देते थे।


दो घटनाओं ने उनके जीवन को अत्यधिक प्रभावित किया ।


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1.एक घटना हुआ थी जब उनकी माता ने उन्हें" ईसा मसीह"  का जीवन पढ़कर सुनाया। जिसका वर्णन उन्होंने अपनी आत्मकथा में भी किया था ।

2. दूसरी घटना उनके अपने घर के पास हुई । एक भेड़ जो अपनी जान बचाकर भागी थी ,  लोगों ने पुनः पकड़कर कसाई को सौंप दिया । 


भेड़ की दशा देखकर उनका हृदय करुणा से भर गया और इस घटना का वर्णन भी उन्होंने अपनी आत्मकथा में किया है।


चैप्लिन स्वयं के भीतर करुणा और साहस के मेल को इसी घटना के देन  मानते हैं। 


लेखक बताते हैं कि जीवन में सुख- दुख का आगमन सभी संस्कृतिक परंपराएं स्वीकृत करती है ।जहां तक भारतीय सौंदर्यशास्त्र की बात है। उसमें भी एक से अधिक प्रश्नों के योग को शुभ माना है।



लकिन उसकी कभी भी करुणा के साहस में बदल जाने का वर्णन नहीं है। रामायण ,महाभारत आदि में भी इन दोनों का मेल नहीं मिलता। 


विदेशी कला को अपना लेना एक बहुत बड़ी मिसाल है। हमारे में बहुत कम नायक होते हैं और अधिकतर कभी ना कभी विदूषक समझे जाते हैं ।


 वास्तव में हर मनुष्य ईश्वर या नीति का विदूषक (बातचीत द्वारा दूसरे को हंसाने वाला होता) है ।


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चार्ली के दोहरे व्यक्तित्व के कारण ही महात्मा गांधी और नेहरू उनका साथ चाहते थे ।


 चार्ली के अद्भुत व्यक्तित्व से प्रभावित होकर यह भारतीय फिल्म जगत के प्रयोग धर्मी निर्माता निर्देशक एवं अभिनेता राज कपूर ने उनके भारतीय करण का सफल प्रयास किया था।


 "आवारा" और "श्री 420 " फिल्मों में स्वयं पर हंसने की परंपरा का श्रीगणेश हुआ था । इस तरह राज कपूर से शुरू हुआ सिलसिला दिलीप कुमार, देव आनंद ,शम्मी कपूर ,अमिताभ बच्चन, श्रीदेवी आदि तक दोहराया गया।


लेखक कहते हैं कि महाभारत में एक स्थल पर करुणा और शाहस का मेल दिखाई देता है । परंतु उसकी करुणा व्याख्या ही स्वीकृत है । 


जैसा कि मुख फिल्मों में कलाकारों को अधिक परिश्रम करना पड़ता है। चार्ली की अधिकांश फिल्में भाषा का इस्तेमाल ना होने से वे अधिक भावनात्मक बंद पड़ी है । 


चार्ली की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे किसी भी संस्कृतिक के लिए पर आए नहीं थे । हर आयु का दर्शक उनमें अपनी झलक देखता था । 


हिंदी साहित्य में प्रेमचंद की रचनाओं के पात्र हमारे आसपास के लगते हैं। वैसे ही चार्ली में हमें अपना रूप दिखाई देता है। हमारे यहां चैप्लिन का रूप केवल होली के त्यौहार पर दिखाई देता है। 


चार्ली गौरव ,शक्तिशाली तथा कठोर के चरणों में खुद पर अधिक हंसते थे।


जब हमारी खुशहाली बदहाली में बदलती है। जीवन के महान चरणों में बदनामी पाते हैं । शक्तिशाली होते हुए कायरों की भांति पलायन करते हैं। जहां हारते हारते जीत जाते हैं। तब हम सब चैप्लिन बन जाते हैं । वास्तव में हम सब चार्ली के ही पर्याय हैं ।


अतः लेखक ने "चैप्लिन"  कहानी के माध्यम से हमें जीवन की सच्चाई को बताया है। हर परिस्थितियों में हंसते मुस्कुराते  जीवन की कठिनाइयों को सामना करने की बात हमसे कही है।


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  प्रश्न अभ्यास - charlie chaplin yani hum sab class 12 summary with question-answer! 


1.लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि सभी चैप्लिन  पर करीब 50 वर्षों तक काफी कुछ कहा जाएगा ?


2.चैंपियन ने ना सिर्फ कला को लोकतांत्रिक बनाया । बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण व्यवस्था को तोड़ा। इस पंक्ति में लोकतांत्रिक बनाने का और वर्ण व्यवस्था तोड़ने का क्या अभ्यास है?


3.क्या आप इससे सहमत हैं ,लेखक ने चार्ली का भारतीय करण किसे कहा और क्यों गांधी और नेहरू ने भी इनका साथ क्यों चाहा ?


4.लेखक ने कलाकृति और रस के संदर्भ में किसे श्रेयस्कर माना है और क्यों?


5.क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण दे सकते हैं जहां कई रस साथ-साथ आए हैं ?


6.जीवन की जद्दोजहद ने चाली के व्यक्तित्व को कैसे संपन्न बनाया?


7.चार्ली चैप्लिन की फिल्मों में निहित  करुणा ,हास्य का सामंजस्य भारतीय कला और सौंदर्य शास्त्र की परिधि में क्यों नहीं आता?


8.चार्ली सबसे ज्यादा स्वयं पर कब हंसता है?


9.चार्ली हमारी वास्तविकता है। जबकि सुपरमैन स्वप्ना आप इन दोनों में खुद को कहां पाते हैं? बताएं।

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चार्ली

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