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राष्ट्रीय आंदोलन के संदर्भ में भारतीय आंदोलन की भूमिका


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राष्ट्रीय आंदोलन के संदर्भ में भारतीय आंदोलन की भूमिका


स्वदेशी आंदोलन - स्वतंत्रता संघर्ष में इसका अर्थ था कि हम भारतीयों को अपने देश में उत्पादित वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। स्वदेशी का अर्थ है -"अपने देश का" इसमें हमें लाभ होंगे । जैसे -अपने देश के उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। दस्तकारों को काम मिलेगा। बेरोजगारी व गरीबी कम होगी तथा देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।

राष्ट्रीय आंदोलन के संदर्भ में भारतीय आंदोलन की भूमिका

रॉलेक्ट एक्ट - बढ़ती हुई क्रांतिकारी आतंकवादी गतिविधियों और लड़े जा रहे हैं। प्रथम विश्व युद्ध को दृष्टिगत करते हुए गवर्नर जनरल लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने लंदन में किंगजू न्याय पीठ के न्यायाधीश सिडनी रॉलेक्ट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्ति की इस समिति को भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों के स्वरूप एवं उनके विस्तार की जांच करने और यदि आवश्यकता हो तो उनसे प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए विधेयक प्रस्तावित करने का कार्य सौंपा गया। 

राष्ट्रीय आंदोलन के संदर्भ में भारतीय आंदोलन की भूमिका

खिलाफत आंदोलन -प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन एवं तुर्की के बीच होने वाली "सेवरश की संधि" से तुर्की के सुल्तान के समस्त अधिकार छिन गए और एक तरह से तुर्की राज्य छिन्न-भिन्न हो गया। विश्व के मुसलमान तुर्की के सुल्तान को अपना खलीफा या धर्म गुरु मानते थे। प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीय मुसलमानों ने तुर्की के खिलाफ अंग्रेजों की इस शर्त पर मदद की। वह भारतीय मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। सरकार अपने वादे से मुकर गई थी। 

 भारतीय मुसलमान अंग्रेजों से घृणा करने लगे। यह स्थिति हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए उपयुक्त थी । 

राष्ट्रीय आंदोलन के संदर्भ में भारतीय आंदोलन की भूमिका

कैबिनेट मिशन -फरवरी 1946 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय नेताओं से विचार-विमर्श के लिए मंत्रियों का एक शिष्टमंडल कैबिनेट मिशन भेजा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री एटली ने घोषणा की कि हमारा विचार शीघ्र ही भारत को आजाद कर देने का है और अल्पसंख्यक दल को बहुसंख्यक दल की प्रगति के मार्ग में बाधा बनने नहीं दिया जाएगा। उसने पाकिस्तान की मांग को ठुकरा दिया था । उसने यह सुझाव दिया था कि भारत में एक संघ एक संघ संघ शासन की स्थापना की जाएगी। 

राष्ट्रीय आंदोलन के संदर्भ में भारतीय आंदोलन की भूमिका

साइमन कमीशन -1927 ईस्वी में इंग्लैंड की सरकार ने एक कमीशन नियुक्त किया । इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे। इसलिए इस कमीशन को साइमन कमीशन कहा जाता है यह कमीशन 1928 की शाम में भारत पहुंचा इसका उद्देश्य 1919 ईशा के सुधारों के परिणाम की जांच करना था इस कमीशन में कोई भी भारतीय नहीं था। 


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