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भारत और भक्ति आंदोलन  किसान जमींदार और राज्य Notes

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भक्ति आंदोलन -भक्ति आंदोलन की शुरुआत "छठी शताब्दी" में हुई। यह वह दौर था। जब अनेकों नई विचारधाराओं और परंपराओं का उदय हुआ। भारत में हुए भक्ति आंदोलन को दो भागों में विभाजित किया जाता है।  


1.दक्षिण भारत में

✍ संत - अलवार और नयनार । 

           - वीर शेव (लिंगायत) । 


2.उत्तर भारत में

✍ सूफी - बसरिया । 

             - बेसरिया । 

✍ अन्य धर्म 

         - सिख धर्म । 

         - संत कबीर । 

         - मीराबाई । 


दक्षिण भारत और भक्ति आंदोलन

संत -

छठी शताब्दी के बाद दक्षिण भारत में संतों का उदय हुआ। इन्हें मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता था । अलवार तथा नयनार।


अलवार -

भारत और भक्ति आंदोलन

अलवार मुख्य रूप से विष्णु की भक्ति किया करते थे। इनकी संख्या 12 थी। इनके कुछ मुख्य संत थे-

1.नम्मालवार 

2.अंडाल 

3.तोंदराडीपौड़ी 

इनके द्वारा रचित ग्रंथ " नलयिरादिव्यप्रबंधन" कहा जाता है।


 नयनार- 

भारत और भक्ति आंदोलन

नयनार शिव के भक्त हुआ करते थे। इनकी संख्या 63 थी।

 मुख्य संत थे-

1.अपार समंदर 

2.सुंदरसर 

3.कराईकाल अम्माईयार

इनके द्वारा रचित ग्रंथ को "तवरम"कहां जाता है । 

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वीरशैव परंपरा 
भारत और भक्ति आंदोलन

  • 12 वीं शताब्दी में कर्नाटक के कुछ ब्राह्मण "बसवन्ना" ने एक नई आंदोलन की शुरुआत की। यह जैन धर्म को मानने वाले थे । 
  • परंतु आगे जाकर इन्होंने ब्राह्मणवादी व्यवस्था का विरोध करना शुरू किया और एक नई व्यवस्था बनाई । इन्होंने समाज सुधार का कार्य किया और ब्राह्मण व्यवस्था में उपस्थित सभी कुरीतियों की आलोचना की उनके अनुयायियों को वीरशैव( शिव के वीर) या
  •  लिंगायत जिन्हें लिंग धारण करने वाले कहा जाता था। इन सभी के द्वारा शिव की आराधना उनके लिंग रूप में की जाती है। 
  • इस समुदाय में पुरुष एक छोटे से चांदी के डिब्बे में लिंग रखकर उसे अपने बाएं कंधे पर धारण करते हैं। 


लिंगायत की विचारधारा

1.अस्पृश्यता का विरोध किया। 

2.पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते । 

3.जाति प्रथा का विरोध । 

4.मूर्ति पूजा की मनाही। 

5.शिव की भक्ति । 

6.समाज में स्थान योग्यता के आधार पर दिया जाए । 

7.विधवा स्त्री के पुनर्विवाह की व्यवस्था किया जाए। 

8.अंतिम संस्कार में दफनाया जाया जाए । 

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