बाजार दर्शन पाठ का सारांश class 12 Hindi,class 12 bazar darshan summary

         बाजार दर्शन (जैनेंद्र कुमार) 

Introduction- यह कहानी कक्षा 12th के हिंदी पुस्तक से लिया गया है । जिसका नाम "बाजार दर्शन "है। यह कहानी" जैनेंद्र कुमार" द्वारा लिखा गया है ।इस कहानी में जैनेंद्र कुमार ने बाजार के आकर्षण का बहुत सुंदर तरह से हमें एक कहानी के माध्यम से इसका महत्व बताया है। 

बाजार दर्शन (जैनेंद्र कुमार)

बाजार दर्शन लेख का सार बताइये-

बाजार दर्शन -इस कहानी में लेखक ने बाजार के आकर्षण का वर्णन किया है। इसमें लेखक बताते हैं कि बाजार के आकर्षण के कारण एक बार उनके मित्र बाजार गए तो वह बाजार से अनावश्यक सामान भी खरीद लाए ।
वह बाजार के आकर्षण बल का इस प्रकार बताते हैं। साथ में वे यह भी बताते हैं कि कुछ व्यक्ति ऐसा भी होता है जो बाजार के इस आकर्षण से प्रभावित नहीं हो पाता है।
लेखक बताते हैं कि बाजार में गजब का आकर्षण होता है ।
बाजार का आमंत्रण को ग्राहक टाल नहीं पाता ग्राहक उसके आमंत्रण में उलझ जाता है । वह दुकान से अधिक से अधिक सामानों को खरीदना चाहता है । लेखक का एक मित्र है । जो बाजार जा कर खाली लौटता है।
लेखक को अपने मित्र का स्वभाव अच्छा लगता है । इनका कहना है कि बाजार में कुछ ऐसा वस्तु है ही नहीं जीसे खरीदा ना जा सके । इसीलिए वह खरीदता नहीं है।

बाजार दर्शन (जैनेंद्र कुमार)

बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है-

लेखक बताते हैं कि "जब तक वस्तु के प्रति प्यास है तब तक कष्ट हैं ।" लेखक बाजार के प्रभाव से बचने का एक सरल उपाय बताते हैं। हमें खाली मन बाजार में नहीं जाना चाहिए हमें हट के कारण लोभ का त्याग नहीं करना चाहिए । इससे मन दुर्लभ दुर्लभ हो जाता है। हमें मन की सुननी चाहिए  ।

चूरन वाले भगत जी का जीवन हमें क्या शिक्षा देता है-

लेखक अपने पड़ोसी चूरन बेचने वाले भगत जी की माध्यम से बताते हैं कि भगत जी दिन भर में मात्र 6 आने कमाता कमाता है।
लेकिन वह बाजार की मोह माया को अपने धंधे पर नहीं लागू होने देता है। इस उदाहरण को बताने के पीछे लेखक ने चूरन वाले की प्रशंसा करनी चाही हैं। वह इससे चूरन वाले के संयम को बताते हैं। पैसे की व्यंग्य शक्ति बड़ी प्रचंड है । पैसे के लालच में वह बड़ी से बड़ी फिजूल खर्च कर लेता है। एक और वह चूरन वाले का उदाहरण देकर संयम को बताते हैं ।

बाजार दर्शन (जैनेंद्र कुमार)

निष्कर्ष- बाजार की आकर्षण शक्ति बहुत ज्यादा है । लेखक बताते हैं कि चूरन वाला बाजार में रहकर पैसे को खर्च नहीं करता है।

वह बाजार के आकर्षण से प्रभावित नहीं होता है । संयम रखता है इस प्रकार लेखक हमे बाजार के मोह माया के बारे में बताते हैं।

बाजार दर्शन (जैनेंद्र कुमार)

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