Class 12 geography summary मानव अधिवास का अर्थ एवं सघन बस्ती की उत्पत्ति का वर्णन करें
मानवी अधिवास
अधिवास की संकल्पना -"आवास" मानव की मूल आवश्यकताओं में से एक है । मानव जिस स्थान को अपने आश्रय के लिए चुन लेता है, और वहां वह जिन मकानों घरों झोपड़ियों आदि का निर्माण करता है । वह उसका आवास कहलाता है ।
मानव एक सामाजिक प्राणी है । अतः उसके अधिवास हमारे सांस्कृतिक वातावरण के अंग है । जिसका निर्माण व प्राकृतिक वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करके करता है । यही कारण है कि किसी क्षेत्र के मानवीय आदिवाशो को देखकर हम वहां के मनुष्य की संस्कृति उनके सामाजिक आर्थिक एवं औद्योगिक विकास का अनुमान लगा सकते हैं ।
उप नगरीकरण
नगरीकरण की एक नवीन तरीका है। जिसमें मानव बड़े शहर के भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में स्थित आवासों को छोड़कर शहर से बाहर एक ऐसे खुले हुए स्वच्छ वातावरण में अपना आवास बनाकर रहने लगता है । जहां रहन-सहन की उत्तम सुविधाएं उपलब्ध होती है । इस प्रक्रिया से बड़े शहरों के निकट ऐसे उपनगर विकसित हो जाते हैं। जहां से प्रतिदिन हजारों व्यक्ति बड़े शहरों में स्थित कार्य स्थलों पर आते जाते हैं ।
ग्रामीण बस्तियों की अवस्थिति तथा विकास को प्रभावित करने वाले कारक -
ग्रामीण वस्तु की स्थिति तथा विकास को प्रभावित करने में निम्नांकित कारक है-
1.जलापूर्ति -सामान्य ग्रामीण बस्तियों नदियों ,झीलों तथा झरना आदि बिंदुओं के समीप स्थापित होती है । ताकि वहां के निवासियों को खाना बनाने ,वस्त्र धोने तथा कृषि भूमि पर सिंचाई करने के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध हो सकें। भूमि मानव अपनी अपनी बस्ती बसाने के लिए ऐसे स्थान का चयन करता है । जहां की समीपवर्ती भूमि कृषि कार्य के लिए उपयुक्त तथा उपजाऊ हो। किसी भी क्षेत्र के प्रारंभिक अधिवास समतल व उपजाऊ कृषि भूमि पर ही स्थापित किए जाते हैं।
2.उच्च भूमि के क्षेत्र- बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में बाढ़ से बचने के लिए मानव द्वारा ऐसे उच्च भूमि के क्षेत्रों का चुनाव अपने लोगो की स्थापना के लिए किया जाता है। जो बाढ़ मुक्त होते हैं ।
3.वर्षा कम- वर्षा वाले प्रदेशों में घनी बस्तियों मिलती है । जबकि अधिक वर्षा वाले भागों में बिखरी हुई बस्तियां पाई जाती है । अधिक वर्षा और बाढ़ के कारण भूमि दलदली हो जाती है। अतः वह खेतों के पास मकान बनाने के कारण मकानों के झुंड नहीं बनते हैं।
4.सूर्य प्रकाश -सूर्य का प्रकाश मानव के स्वास्थ्य पशु तथा फसलों के लिए बहुत आवश्यक होता है। समशीतोष्ण तथा शीत प्रदेशों में सूर्य प्रकाश की प्राप्ति के आधार पर ही अधिवास बनाए जाते हैं ।
विकासशील राष्ट्रों में ग्रामीण बस्तियों की समस्याएं
विश्व के विकासशील राष्ट्रों की ग्रामीण बस्तियों की निम्नांकित समस्याएं सर्व प्रमुख है -
1.इन बस्तियों में स्वच्छ पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति नहीं मिलती विशेष रूप से पर्वतीय एवं शुष्क क्षेत्रों के निवासियों को पेयजल के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
2.शोच घर तथा कूड़ा कचरा निस्तारण सुविधाओं की कमी होने के कारण इन बस्तियों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं प्रभावी रहती हैं।
3.पक्की सड़कों का अभाव तथा आधुनिक संचार के साधनों की कमी इन ग्रामीण बस्तियों की प्रमुख समस्या है।
4.वर्षा ऋतु में अधिक वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों में स्थित ग्रामीण बस्तियों का संपर्क समीपवर्ती क्षेत्रों से कट जाता है।
5.ग्रामीण बस्तियों में अधिकांश मकान घटिया स्तर के तथा स्थानीय निर्माण सामग्री से निर्मित किए जाते हैं । भारी वर्षा और बाढ़ के समय ऐसे मकानों को भारी क्षति उठानी पड़ती है तथा ऐसी स्थिति में इन मकानों को हर वर्ष उचित रखरखाव की आवश्यकता पड़ती है।
6.एक ही मकान में पशु तथा परिवार साथ साथ रहते हैं । इन मकानों में पशुओं के चारे को रखने के लिए समुचित स्थान नहीं होता। साथ ही जंगलों जानवरों से ही सुरक्षा इकाई इंतजाम नहीं होते हैं।
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