Ncert कक्षा 12 chapter 1 cold War ka शारांश and नोटेस् with Short summary

Ncert कक्षा 12 chapter 1 cold War ka शारांश and नोटेस् with Short summary

Ncert कक्षा 12 chapter 1 cold War ka शारांश and नोटेस् with Short summary


cold War ka शारांश and नोटेस्-  अमेरिका द्वारा 6 अगस्त और 9 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा तथा नागासाकी पर बम गिराया गया। जिनका नाम लिटिल ब्वॉय तथा फैट मैन था ।

Ncert कक्षा 12 chapter 1 cold War ka शारांश and नोटेस् with Short summary-  शीतयुद्ध पूर्व बनाम पश्चिम देश के बीच मैं एक तनावपूर्ण स्थिति का युद्ध था । जिसमें किसी भी समय पूरे विश्व को ऐसा प्रतीत होता था , कि कभी भी तीसरा विश्व युद्ध छिड़ सकता है। शीत युद्ध में पूर्व की ओर से साम्यवादी तथा पश्चिम की ओर से पूंजीवादी देशों के बीच में युद्ध 1945 से आरंभ हुआ था। 1991 में इसका अंत हुआ। जिसमें सोवियत संघ का विघटन हो गया।

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cold War ka शारांश and नोटेस्।

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Ncert कक्षा 12 chapter 1 cold War ka शारांश and नोटेस् with Short summary

शीत युद्ध के कुछ महत्वपूर्ण तिथियों
यालटा सम्मेलन सन् 1945 में हुआ
कोरिया का युद्ध संकट 1950 से 1953 तक
बर्लिन का संकट 1958 से 62 तक
कांगो का संकट 1960 ईशा में
क्यूबा का मिसाइल संकट 1962 ईशा में

शीत युद्ध के विभिन्न चरण
निरंतर चढ़ाव का चयन 1946 से 53
उतार चढ़ाव का चरण 1953 से 62
उतार का चरण 1963 से 70
तनाव शैथिल्य का चरण 1971 से 80
शीत युद्ध एवं तनाव शैथिल्य का चरण 1981 से 91

शीत युद्ध के विभिन्न संगठन
मार्शल योजना - 5 जून 1947 को विदेश मंत्री मार्शल की योजना आई । जिसमें कहा गया कि अमेरिका यूरोप के उन राज्यों का वित्तीय सहायता देगा । जो आर्थिक पुनरुद्धार के कार्यक्रम में अपना सहयोग देने को तैयार हैं।

ल टी बीटी का वर्णन - इस संधि पर अमेरिका ब्रिटेन और सोवियत संघ ने 5 अगस्त 1963 को हस्ताक्षर किए । इसमें वायुमंडल बाहरी अंतरिक्ष तथा पानी के अंदर परमाणु हथियारों के परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने की संधि की गई । यह संधि 10 अक्टूबर 1963 से प्रभावी हो गई ।

नाटो संगठन - इसका पूरा नाम उत्तर अंध महासागर संधि संगठन है। (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन ) इसमें अमेरिका, इंग्लैंड फ्रांस ,कनाडा ,आइसलैंड ,नार्वे, नीदरलैंड, बेल्जियम, पुर्तगाल, इटली आदि परंतु बाद में इसमें यूनान ,तुर्की तथा पश्चिमी जर्मनी भी शामिल हो गए।
इस संधि संगठन की मुख्य शर्ते निम्नलिखित है -
पहला शांति के समय विभिन्न देश एक दूसरे को आर्थिक सहयोग देंगे।
दूसरा आपसी विवादों को आपसी बातचीत द्वारा हल करेंगे ।
तीसरा यदि कोई अन्य देश इनमें से किसी पर आक्रमण करेगा तो सब मिलकर उसका मुकाबला करेंगे ।
चौथा प्रत्येक देश अपनी सैनिक शक्ति को संगठित करेगा तथा इस कार्य में अमेरिका उसकी सहायता करेगा ।

सीटों- इस संधि संगठन का पूरा नाम दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन है। (साउथ ईस्ट एशिया ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) 1954 में इस संधि का मुख्य उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया में बढ़ते हुए चीनीयों को रोकना है और इस उद्देश्य के लिए तैयारी करना है । इसमें फिलिप्पाइन, थाईलैंड, इंग्लैंड ,फ्रांस, पाकिस्तान ,ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड तथा अमेरिका आदि देश सामिल है ।

सेंटो संधि- इसका पूरा नाम केंद्रीय संधि है। (सेंट्रल ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) पहले इसका नाम बगदाद था। जब इसमें केवल तुर्की और ईरान थे । बाद में 1955 में इस गठबंधन में संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड ,ईरान और पाकिस्तान भी शामिल हो गए। परंतु बाद में इराक इन से निकल गया। इस संधि संगठन का मुख्य उद्देश्य रूस की शक्ति को दक्षिण की ओर बढ़ने से रोकना है।

वारसा पेक्ट्- इस संधि संगठन में रूस, अल्बानिया, बुखारिया, रोमानिया, पूर्वी जर्मनी ,चेकोस्लोवाकिया, हंगरी तथा पोलैंड आदि थे। इन साम्यवादी देशों ने इस संगठन नाटो, सीटो और सेंटो आदि का विरोध किया। इसका मुख्य उद्देश्य था कि यदि कोई देश इस संगठन में शामिल किसी देश पर भी आक्रमण करेगा तो सब मिलकर उसका मुकाबला करेंगे । इसके अलावा कोई भी सदस्य देश अपनी सेनाएं किसी अन्य देश की सरकार की अनुमति से वहां रख सकता है।

भारत अमेरिका संबंधों की उत्पत्ति कैसे हुई?
भारत और अमेरिका के संबंध पुराने हैं स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व राष्ट्र आंदोलन के समय से ही अमेरिका भारत के प्रति सहानुभूति रखता था और उससे उसने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन को सहारा दिया था। इस हेतु द्वितीय विश्व युद्ध के काल में अमेरिका ने ब्रिटेन पर दबाव बनाया कि भारत को भी आत्मनिर्भर निर्णय का अधिकार मिलना चाहिए। भारत के लोगों के प्रति अमेरिका की सहानुभूति सोवियत प्रभाव को रोकने के उद्देश्य से भी थी ।

भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति क्यों अपनाई?
15 अगस्त को 1947 को स्वतंत्रता के पश्चात भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति को अपनाया ।
भारत द्वारा इस नीति को अपनाने का मुख्य कारण निम्न है -

भारत ने अपने को गुट संघर्ष में सम्मिलित करने की अपेक्षा देश की आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक उन्नति की ओर ध्यान देने में अधिक लाभ समझा।

सरकार द्वारा किसी भी गुट के साथ मिलने से यहां की जनता में भी विभाजनकारी स्थिति उत्पन्न होने का भय था और इससे राष्ट्रीय एकता को धक्का लगता ।

किसी भी गुट के साथ मिलने और और उसका पालन करना राष्ट्र की स्वतंत्रता कुछ अंश तक अवश्य प्रभावित होती।

भारत स्वयं एक महान देश है और इसे अपने देश में अपनी स्थिति को महत्वपूर्ण बनाने के लिए किसी बाहरी शक्ति की आवश्यकता नहीं थी। इसलिए भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई । 


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