भारतीय सभ्यता, sindhu ghati sabhyata का सारांश और नोटेस् and summary

भारतीय सभ्यता, sindhu ghati sabhyata का सारांश और नोटेस् and summary


भारतीय सभ्यता, sindhu ghati sabhyata  का सारांश और नोटेस् and summary - sindhu ghati sabhyata  का सारांश, सिंधु घाटी सभ्यता प्राचीन सभ्यता में एक है। यह भारत के पश्चिम उत्तर क्षेत्र में पहले हुई एक महत्वपूर्ण सभ्यता थी सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 8000 वर्ष पुरानी है । इस सभ्यता का खोज सन 1921 में दयाराम साहनी द्वारा किया गया।

Chapter containt


  • sindhu ghati sabhyata  का सारांश सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना का वर्णन करें
  • हड़प्पा सभ्यता का विस्तार
  • सिंधु घाटी सभ्यता कितने वर्ष पुरानी है
  • हड़प्पा सभ्यता की मुहरें
  • सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि क्या थी
  • सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारणों का वर्णन
  • सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन का मूल्यांकन कीजिए
  • सिंधु घाटी सभ्यता का आर्थिक जीवन
  • हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें
  • सिंधु घाटी की सभ्यता का विकास कहां हुआ है
  • सिंधु घाटी सभ्यता की खोज किसने की
  • सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना का वर्णन करें
  • सिंधु घाटी सभ्यता का व्यापार क्या था?
  • सिंधु घाटी के प्रमुख देवता कौन थे?
  • सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे प्रधान विशेषता क्या थी?

भारतीय सभ्यता, sindhu ghati sabhyata  का सारांश और नोटेस् and summary


1.हड़प्पा सभ्यता का विस्तार

  • हड़प्पा सभ्यता का विस्तार पूर्व से पश्चिम तक 1600 किलोमीटर एवं उत्तर से दक्षिण तक 1100 किलोमीटर तक फेला  है । परंतु उत्तर में सरायखेला आदि स्थलों की प्राप्ति से इसकी सीमा और बढ़ गई है । यह सभ्यता एक त्रिभुजाकार क्षेत्र में विस्तृत है । जिसका क्षेत्रफल कुछ समय पूर्व विद्वानों ने 12,99,600 वर्ग किलोमीटर बताया है। यह  उत्तर में जम्मू के अखनूर से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी के तट तक एवं पश्चिमी बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट से लेकर उत्तर पूर्व में मेरठ तक विस्तृत है। इस सभ्यता का क्षेत्रफल मिस्र से 20 गुना तथा मिस्र तथा मेसोपोटामिया दोनों के सम्मिलित क्षेत्रों से 12 गुना अधिक है।


2.सिंधु घाटी सभ्यता कितने वर्ष पुरानी है?

  • सिंधु घाटी सभ्यता विद्वानों के अनुसार 8000 साल पुरानी मानी जाती है।

3.सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि क्या थी?

  • सिंधु सभ्यता के निवासियों ने एक भव्य चित्रात्मक लिपि का आविष्कार किया था। मगर या लिपि पढ़ने में अभी तक सफलता प्राप्त नहीं हो पाई है। कई ऐसे मुद्राएं मिली हैं, जिन पर यह चित्र लिपि अंकित है।

4.सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारणों का वर्णन ।

  • सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के निम्नलिखित कारण है -
  • हड़प्पा सभ्यता का पतन किस कारण से हुआ उसे आज तक कोई नहीं जानता है। परंतु इसके पतन के पीछे कई विद्वानों ने अपने कई राय दिए हैं। सर्वश्री मार्शल मैंके एवं एस.आर.राव हड़प्पा सभ्यता के पतन का एकमात्र कारण नदी की बाढ़ बताते हैं।
  • गार्डन चाइल्ड एवं पीगट विद्वानों ने ब्रह्म आक्रमण को पतन का कारण बताया है।
  • वहीलर के अनुसार 1500 ईशा पूर्व आर्यों ने आक्रमण कर हड़प्पा सभ्यता के नगरों को ध्वस्त किया एवं वहां के लोगों को मार डाला।
  • ऑरेंन स्टाइन ,ए.एन घोष आदि विद्वान जलवायु परिवर्तन को हड़प्पा संस्कृति के विनाश का कारण मानते हैं।
  • एमआर साहनी जैसे भूतत्व वैज्ञानिक जल प्लावन को इस सभ्यता के पतन का कारण मानते हैं ।
  • कनेड़ी मलेरिया एवं महामारी जैसे प्राकृतिक आपदाओं को पतन का कारण मानते हैं । इस प्रकार हम देखते हैं कि अनेक विद्वानों ने हड़प्पा सभ्यता के अंत होने का अपना भिन्न राय प्रस्तुत किया।

भारतीय सभ्यता, sindhu ghati sabhyata  का सारांश और नोटेस् and summary

5.सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन का मूल्यांकन कीजिए या सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना का वर्णन करें।

  • हड़प्पा सभ्यता अपने नगर नियोजन के लिए विश्व में अनेक सभ्यताओं में प्रसिद्ध है। इसकी नगर योजना काफी शक्तिशाली थी। इसकी नगर योजना निम्नलिखित है-
  • पहला सड़क व्यवस्था मोहनजोदड़ो की एक प्रमुख विशेषता उसकी समतल एवं चौड़ी सड़कें थी । यहां की मुख्य सड़क 9.15 मीटर चौड़ी थी। जिसे पुरात्वेदो ने राजपथ कहां है । अन्य सड़कों की चौड़ाई 2.75 से 3.67 मीटर तक थी । जाल पद्धति के आधार पर नगर नियोजन होने के कारण सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थी। जिनसे नगर कई खंडों में विभक्त हो गया था । इस पद्धति को ऑक्सफोर्ड सर्कस का नाम दिया गया है । सड़के मिट्टी की बनी थी एवं इसकी सफाई की समुचित व्यवस्था थी। गलियां भी खुली तथा चौड़ी थी। कूड़ा इकट्ठा करना हेतु एक अंतराल पर गड्ढे खोदे जाते थे अथवा कूड़ेदान रखे जाते थे । मोहनजोदड़ो की एक सड़क के दोनों किनारों पर चबूतरो के बने होने के साक्ष्य मिले हैं। संभवत इन चबूतरो पर बैठकर दुकानदार वस्तुओं की बिक्री करते होंगे । हमलावर से सुरक्षा के लिए नगर के चारों ओर बड़े गड्ढे थे ।
  • जल निकास प्रणाली - मोहनजोदड़ो के नगर नियोजन की एक और प्रमुख विशेषता यहां की जल निकास प्रणाली है । यहां के अधिकांश भवनों में निजी कुएँ एवं स्नानागार थे। भवन की कमरों रसोई स्नानागार शौचालय आदि । सभी का पानी भवन की छोटी-छोटी नालियों से निकलकर गली की नाली में आता था। गली की नाली को मुख्य सड़क के दोनों और बनी पक्की नालियों से जोड़ा गया था। मुख्य सड़क के दोनों और बनी नालियों को पत्थरों अथवा सिलाओ द्वारा ढक दिया जाता था । नालियों की सफाई एवं कूड़ा को निकालने के लिए बीच-बीच में  मेनहोल भी बनाए जाते थे। नालियों की इस प्रकार की अद्भुत विशेषता किसी अन्य समकालीन नगर में देखने को नहीं मिलती है।
  • स्नानागार- मोहनजोदड़ो का एक प्रमुख सार्वजनिक स्थल है । यहां के विशाल दुर्ग [54.86×33 मीटर] में स्थित विशाल स्नानागार है। यह 39 फुट लंबा ,23 फुट चौड़ा एवं 8 फुट गहरा है । इसमें उतरने के लिए उत्तर एवं दक्षिण की ओर से सिड़ियाँ बनी है । स्नानागार का फ़र्श पक्की ईंटों से बना है । संभवत इस विशाल स्नानागार का उपयोग अनुष्ठान इक स्नान हेतु होता होगा। स्नानागार के चारों ओर कमरे तथा बरामदे थे। स्नानागार से जल के निकास की भी व्यवस्था थी एवं स्वच्छ पानी को एक कुवे द्वारा स्नानागार में लाया जाता था । यह स्नानागार तत्कालीन उन्नत तकनीक का परिचायक है। मार्शल महोदय ने इसी कारण से तत्कालीन विश्व का आश्चर्यजनक निर्माण बताया है।
  • अन्नागार- मोहनजोदड़ो में ही 45.72 मीटर लंबा एवं 22.86 मीटर चौड़ा एक अन्ना गार मिला है।
  • ईटें -हड़प्पा संस्कृति के नगरों में पकाई हेतु ईटों का प्रयोग भी यहां के नगर नियोजन की एक अद्भुत विशेषता है। ईटें चतुर्भुज आकार थी । मोहनजोदड़ो से प्राप्त सबसे बड़ी ईट का आकार [51.43 ×26.27 ×6.3 5] सेंटीमीटर है।

6.सिंधु घाटी सभ्यता का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था?

  • सिंधु घाटी सभ्यता का आर्थिक जीवन निम्न प्रकार से था -
  • पहला कृषि -कृषि ,हड़प्पा सभ्यता के लोगों की अर्थव्यवस्था का मूल्य आधारित थी । खेतों की उर्वरता के कारण यहां अनाज की कमी नहीं थी। अनाज रखने के लिए भंडार वृहत है । कपास की भी खेती होती थी। जिससे कि लोग अपने लिए कपड़े बनाते थे। अनाज पीसने के लिए चक्की एवं कूटने हेतु ओकलियों के उपयोग के साक्ष्य मिलते हैं। सर्वप्रथम यहां के निवासियों ने कपास की खेती आरंभ की मेसोपोटामिया में यहां से कपास जाता था। जिससे कि वह सिंधु नाम से उच्चारित करते थे । उन्होंने कपास को सिंडन कहा । जो कि सिंधु का ही यूनानी शब्द है ।
  • पशुपालन -कृषि के साथ-साथ हड़प्पा वासियों की अर्थव्यवस्था का आधार पशुपालन भी था । इस तथ्य के भी पर्याप्त साक्ष्य मिलते हैं। यहां प्राप्त मुद्राओं पर अंकित बैलों से पता चलता है कि यहां दो प्रकार के बैल थे  -
  • कूबड़ दार बड़े सिंह वाले एवं
  • बिना कूबड़ छोटे सिंह वाले ।
  • शिल्प तथा उद्योग धंधे -कृषि पशुपालन के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के शिल्प एवं उद्योग धंधे के प्रति भी हड़प्पा संस्कृति के लोगों का स्पष्ट रुचि देखने को मिलता है। खुदाई में प्राप्त कताई बुनाई के उपकरणों की प्राप्ति स्पष्ट संकेत देती है कि कपड़ा बुनना यहां का एक प्रमुख उद्योग रहा होगा।
  • व्यापार एवं वाणिज्य -कृषि पशुपालन उद्योग धंधे के साथ-साथ सिंधु निवासी की व्यापार तथा वाणिज्य मैं भी काफी रूचि थी । उनके आंतरिक एवं ब्रह्म दोनों ही व्यापार काफी उन्नत है।

7.हड़प्पा सभ्यता के विशेषताओं का वर्णन अपने शब्द मे करें।
हड़प्पा सभ्यता के  विशेषताएं  कुछ इस प्रकार के है-

  • सड़क व्यवस्था -मोहनजोदड़ो की सड़क व्यवस्था तथा हड़प्पा सभ्यता की सड़क व्यवस्था काफी अच्छी थी। यहां पर दो प्रकार की सड़के हमें देखने को मिलती थी। पहला सड़क छोटा हुआ करता था तथा दूसरा सड़क लंबा तथा चौड़ा हुआ करता था। इसे राजपथ कहा जाता था।
  • स्नानागार- हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं में इसका स्नानागार का वर्णन हमें विशेष तौर पर देखने को मिलता है। क्योंकि यहां का जो स्नानागार है वह अनेक   सभ्यता के चीजों वा वस्तुओं से भिन्न है। जो इस सभ्यता को अलग बनाती है।
  • नगर योजना -हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना प्रणाली काफी अच्छी थी । यहां की सड़क प्रणाली हमें काफी उच्च कोटि के देखने को मिले । यहां का प्रत्येक घर कैलकुलेट करके बनाया जाता था। जिससे भविष्य में खतरा ना हो सके।
  • सफाई व्यवस्था -हड़प्पा सभ्यता की सफाई व्यवस्था काफी अच्छी थी। यहां की नाली, सड़क वा रास्ते काफी स्वच्छ एवं साफ हुआ करते थे । यहां के लोग सफाई व्यवस्था पर काफी ध्यान दिया करते थे ।
  • कांसे का प्र योग -हड़प्पा सभ्यता को कांस्य युग कहा जाता है । क्योंकि इस सभ्यता में हमें कांस्य की वस्तुये प्राप्त हुई हैं। जो सभ्यता की विशेषता को और प्रकट करता है।
  • चिकित्सा ज्ञान- सिंधु सभ्यता के पूरा विश्व में मोहनजोदड़ो से शिलाजीत का टुकड़ा मिला है । शिलाजीत बलवर्धक होने के साथ-साथ कई वादियों को दूर करने में सहायक है ।
  • माप तौल की तकनीक का ज्ञान -हड़प्पा सभ्यता के लोग माप तोल के तकनीक से परिचित है। सिंधु सभ्यता में करीब 150 बाँट मिले हैं । सबसे बड़ा बाँट 1375 ग्राम का सबसे छोटा बाँट 0.87 ग्राम का है।

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