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Contents of " छोटा मेरा खेत " In This Blog-
1.छोटा मेरा खेत किसे कहा गया है?
2. इस कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
3.छोटा मेरा खेत कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
4.अलौकिक रस किसान और कवि के संदर्भ में क्या है?
5.अक्षय पात्र किसे और क्यों कहा गया है?
6.बगुला के पंख' कविता के सौंदर्य पर लिखित रूप में प्रकाश डालिए?
7.बगुले के पंख' कविता के सौंदर्य पर लिखित रूप में प्रकाश डालिए।
8.बगुलों के पंख' कविता के सौंदर्य पर लिखित रूप में प्रकाश डालिए
9.कविता/कहानी/नाटक की रचना प्रक्रिया पर आधारित प्रश्न।
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कवि परिचय
उमाशंकर जोशी का जन्म 1911 ईशा में गुजरात में हुआ। इन की आरंभिक शिक्षा घर पर भी हुई । उन्होंने अल्पआयु में ही लेखन कार्य शुरू कर दिया । उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रकृति साधारण मानव की जिंदगी के अनुभव आदि के विषय में बताया। उन्होंने भारतीय परंपरा का पूर्णरूपेण निर्माह किया । उन्होंने कालिदास द्वारा रचित अभिज्ञान शकुंतलम और भवभूति द्वारा रचित उत्तर रामचरित का गुजराती में अनुवाद कर इस भाषा की अभिव्यक्ति क्षमता को बढ़ाया। यह गुजराती साहित्य में बेजोड़ निबंधकार माने जाते हैं। भारत के स्वाधीनता के लोगों ने गांधी जी के साथ बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। स्वाधीनता की इस लड़ाई में यह कई बार जेल भी गए। सन 1998 में इनका निधन हुआ।
रचनाएं -सपनाभारा ,शहीद गोष्टी आदि।
साहित्य विशेषताएं -उमाशंकर जोशी ने अपनी कविताओं के माध्यम से प्रकृति और आम जीवन के अनुभव को जोड़ने का प्रयास किया ।उनकी साहित्यिक आलोचनाएं बेजोड़ है । उनकी रचनाओं पर गुजराती संस्कृति का प्रभाव है । भाषा शैली उमाशंकर जोशी का भाषा जगत आम बोलचाल की है । उन्होंने अपने निबंधों को गुजराती भाषा में रचना की। उन्होंने अपनी रचनाओं के वर्णनात्मक और विचारात्मक को अपनाया ।
कविता का सारांश
कविता ने रूपक के माध्यम से अपने कवि कर्म कृषक के सामने बताया हैं । किसान अपने खेत में बीज बोता है, उसकी कटाई होती है । यह अन्ना जनता का पेट भरता है। कवि कागज को अपना खेत मानता है। क्योंकि उसकी रचना को आकार तो कागज पर ही मिलेगा । किसी छनआई भावनात्मक आंधी में वह इस कागज पर बीच वपन करता है ।कल्पना का आश्रय पा भाव विकसित होकर बाहर निकलना चाहता है। यही तो बीज का अंकुरण है। शब्दों के अंकुर निकलते ही रचना स्वरूप ग्रहण करने लगते हैं । कवि ऐसी खेती करता है जिसकी कविता करते कभी समाप्त नहीं होता । भले ही कृषक का अन्य कुछ समय बाद समाप्त हो जाता है।
बगुलो के पंख
प्रकृति के उपादान कवियों को सदा से आकर्षित करते आए हैं। इस छोटी सी कविता में भी एक ऐसी ही प्रकृति दृश्य है। संध्या का समय है । पक्षी अपने घोसले की ओर लौट रहे हैं । लौटते हुए समूह में पंक्ति बंद होकर चलते हैं । ऐसे ही दृश्य का वर्णन इस कविता में है । आकाश में काले बादल घिरे हुए हैं। इन बादलों में मध्य से उड़ते हुए बादलों की श्वेत पंक्ति को देखकर कवि यह महसूस करता है। मानो कजरारे बादलों के ऊपर कांच किस श्वेत छाया तैर रही हो । इस नयनाभिराम दृश्य को कभी टकटकी लगाकर देख रही है। कभी सब कुछ भुला कर उसी में अटक कर रह जाता है। वह इस माया से अपने को बचाने की गुहार लगा रहा है। कविता में कहने का यह ढंग सौंदर्य को व्यक्त करने का तरीका है ।
छोटा मेरा खेत
लिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उसका हिंदी अनुवाद करें।
1.
छोटा मोरा खेत चौकोना
कागज़ का एक पन्ना
कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का बीज बहाँ बोया गया।
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया नि:शेष;
शब्द के अंकुर फूटे,
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
झूमने लगे फल,
रस अलौकिक,
अमृत धाराएँ फुटतीं
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।
रस का अक्षय पात्र सदा का
छोटा मेरा खेत चौकोना।
शब्दार्थ- चौकोना-चार कोनों वाला। पन्ना-पृष्ठ। अधड़-आँधी। क्षया-पल। रसायन-सहायक पदार्थ। नि:शोष-पूरी तरह। अंकुर-नन्हा पौधा। फूटे-पैदा हुए। पल्लव-पत्ते। युष्यों-फूलों। नमित-झुका हुआ। विष्णेष-खास तौर पर। अलौकिक-दिव्य, अद्भुत। रस- साहित्य का आनंद, फल का रस। रोपाई- छोटे-छोटे पौधों को खेत में लगाना। अमृत धाराएँ- रस की धाराएँ। अनतता- सदा के लिए। अक्षय- कभी नष्ट न होने वाला। यात्र –बर्तन, काव्यानंद का स्रोत।
प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 से लिया गया है। इस कविता का नाम "छोटा मेरा खेत" है । इसके रचयिता उमाशंकर जोशी है। इस कविता में कवि कर्म की तुलना कृषक कर्म से की है।
व्याख्या- कवि कहता है कि जिस प्रकार एक किसान अपने खेत में कार्य करता है। उसी प्रकार मैं भी कागज के एक चौकोर पृष्ठ पर अपना कृषक कार्य करता हूं । वर्षा के बाद जैसे कृषक अपने खेत में बीज रोकता है। उसी प्रकार कोई भाव बीज बनकर मेरी अभिव्यक्ति के लिए आता है । किसी पल में उपजा भाव मेरे भावुक हृदय में बो दिया जाता है। नमी का गर्मी पाकर बीज अंकुरित होता है । मेरे हृदय का भाव भी कल्पना का रस व खाद पाकर अंकुरित होने लगता है। अंकुरण से पहले बीज को अपने को गलाना पड़ता है । काव्य स्फुरण के लिए भी कवि अपने को भावे के साथ द्रवीभूत करता है। उसके साथ उसी प्रकार बनता है ,जिस प्रकार बीच मिट्टी में मिलकर मिट्टी बन जाता है। फिर शब्दों के अंकुर फूटते हैं और पुष्पों से युक्त काव्य वृक्ष बढ़ने लगता है। काव्य वृक्ष पर जब फल आने लगते हैं अर्थात काव्य जब पूर्णता पाने लगता है, तब छंद, लय, भाव, बिंब भाषा के पल्लव पुष्प ऐसे पल का रूप देते हैं। जिनसे रस की अलौकिक अमृत धाराएं छूटने लगती है। वह अमृत्तुल्य ही तो होता है । यह कैसी विचित्र अता है ,कि पौधारोपण एक क्षण भर होता है। किंतु उसकी कटाई अनंत काल तक चलती है। दूसरा आशय यह है कि इस रस को कितना ही लूटो किंतु यह तनिक भी कम नहीं होता। चौकोन खेत अक्षय पात्र है सदा भरा रहता है।
सौंदर्य बोध- कविता की तुलना खेती से की गई है । कवि कागज के पृष्ठ को ही अपना खेत कहता है । यह सत्य है कि कविता कालजई होती है और उसका रस आनंद कार तक सहृदय को आनंदित करता रहता है । पूरी कागज रूपक को लेकर चलती है। कागज पर खेत का आरोप है । अतः रूपक अलंकार है निम्न में अनुप्रास अलंकार है। कागज का गल गया । पल्लव पुष्पा काव्य के रस को रस सिद्धांत में अलौकिक ही माना गया है । अतः उसे ब्रह्मानंद सहोदर कहा जाता है । यह सत्य है कि काव्य कालजयी होता है । भाषा संस्कृत में शब्द वाली युक्त है। समस्त कविता में बिंबो की प्रधानता है।
लिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उसका हिंदी अनुवाद करें।
2.
नभ में पाँती-बाँधे बगुलों के पंख,
चुराए लिए जातीं वे मेरा आँखे।
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया
हले हॉले जाती मुझे बाँध निज माया से।
उसे कोई तनिक रोक रक्खो।
वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखे
नभ में पाँती-बँधी बगुलों के पाँखें।
शब्दार्थ- नभ-आकाश । पाँती-पंक्ति । कजरारे-वाले । साँझ-संध्या, सायं । सर्तज-चमकीला, उज्जवल । श्वेत –सफेद। काया-शरीर। हौले-हौले-धीरे-धीरे। निज-अपनी। माया-प्रभाव, जादू। तनिक-थोड़ा। पाँखें–पंख।
प्रसंग -प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 के बगुलो के पंख से लिया गया है। इसके रचयिता उमाशंकर जोशी है। इस कविता में काले बादलों में मध्य शाम के समय घर लौटते बगुलो की पंक्ति का वर्णन है।
व्याख्या- काले बादलों के मध्य संध्या के समय घर लौटते बगुलो को पंक्ति कवि आते देख कवि का मन उनके पंखों से आकर्षित होता है । कवि अपलक उनको निहारने लगते हैं ।आकाश में फैले काले बादलों की छाया आकाश में फैल रही है। उनकी मध्य में श्वेत पंखों की स्थिति संध्या की परछाई जैसी प्रतीत होती है । ऐसा लगता है कि संध्या की आलोकमई शरीरयष्टि पैर रही हो। यह दृश्य धीरे-धीरे कवि को अपने आकर्षण में बांध रही है । कवि इस माया से बचना चाहता है। अतः वह प्रार्थना करता है कि तैरती बक पंक्ति को कोई थोड़ी देर के लिए रोक दें । यह बक पंक्ति तो मेरी आंखों को ही चुरा ले जा रही है , अर्थात् आकाश में पंक्ति बद्ध बगुलों के पंखों से मैं दृष्टि हटा नहीं पा रहा हूं। यह पंक्ति आगे बढ़ रही है। मेरी आंख इसमें अटक गई है । अतः इन को रोककर मेरी आंखों की चोरी को रोकिए सौंदर्य बोध बक पंक्ति के श्वेत पंखों के आकर्षण का वर्णन है।
सौंदर्यबोध - वर्णन का मौलिक रूप है
भाषा सरल व प्रसाद गुण युक्त है । सारी कविता चित्रात्मक है । अनूठा भी विधान है। होल होले देशज शब्द है। पंख आंख चुराते हैं मैं मानवीकरण अलंकार है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न उत्तर
कविता के साथ
1.छोटे चौकों ने खेत को कागज का पन्ना कहने में क्या अर्थ है ?
उत्तर- कविता कागज के पन्ने को छोटे से चौके ने खेत के रूप में देख रहा है। वह यह कहना चाहता है कि मैं भी कृषि कार्य करता हूं । कागज मेरा खेत है । इसमें मैं भाव के बीच होता हूं । कल्पना का खाद पानी देता हूं। उसमें शब्द के अंकुर फूटते हैं। छंद के पुत्र पुष्प आते हैं । रेत रूपी फल आता है। आता छोटे चौक होना चौका ना खेत को कागज का पन्ना कहना कृषि कर्म वह काव्य कर्म समानता बताने के लिए कहा गया है।
2.रचना के संदर्भ में अंधड़ और बीच क्या है?
उत्तर -अंदर भावात्मक आंधी है । बीज रचना विचार और अभिव्यक्ति है। उसके बाद इस भाव को कविता बंद करने का विचार उत्पन्न होता है और फिर भाव विभक्ति होती है।
3.रस का अक्षय पात्र से कवि ने रचनाकारों की किन विशेषताओं की और अंकित किया है ?
उत्तर- कृषक के द्वारा उत्पन्न रस कुछ दिन बाद समाप्त हो जाता है। किंतु कविता से उत्पन्न रस कविता में सदैव बना रहता है। काव्य का रस समय की चोट से ना तो समाप्त होता है और ना उसके रस के स्वाद में कोई परिवर्तन होता है । वह कम भी नहीं होता अतः इसी आधार पर कवि ने उसे अक्षय पात्र कहा है।
Long Answer Type question🙋
अन्य महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी प्रश्न उत्तर
1.बगुलो के पंख कविता का भाव सौंदर्य लिखिए।
उत्तर- इस पंक्ति में संध्या के समय के बादलों से भरे आकाश में घर लौटते बगुलो के श्वेत पंखों के आकर्षण का वर्णन है । यह पंक्ति बाध्य उड़ते हुए बगुले अपने पंखों से कवि के आंखों को चुराते हैं । अनूठा सौंदर्य वर्णन है। यह वर्णन अपने में मौलिक है। काला पक्ष की दृष्टि से भी कविता बहुत आसन है। भाषा सरल व प्रसाद गुण युक्त है । संस्कृतनिष्ठ शब्दावली के साथ-साथ देशज शब्दों का भी प्रयोग हुआ है । पूरी कविता बिंब आत्मक है। कलाकारों का सटीक प्रयोग है ।
2.कवि अपने आंखों चुराने के माध्यम से क्या कहना चाहता है ?
उत्तर- कवि सौंदर्य से अभिभूत है। वह उस सौंदर्य को सतत देखने का अभिलाषी है। वह बकपंक्ति को रोकना चाहता है । उसकी आंखें उसके पीछे-पीछे जा रही है । थोड़ी देर के बाद दृश्य गायब हो जाएगा। अतः यदि बकपंक्ति को रोक लिया जाए तो वह सतत देखता रहेगा । अतः कवि कहना चाहता है कि मेरे आंखें बकपंक्ति पर ना जाए और तभी संभव है। जब बकपंक्ति रुक जाए। अतः चुराने का अर्थ हुआ पीछे-पीछे जाना।
Short Answer Type question🙋
1.अक्षय पात्र से क्या आशय है ?
उत्तर- एक ऐसा पात्र बर्तन जिसमें रखा हुआ पदार्थ कभी समाप्त नहीं होता। भारतीय पौराणिक कथाओं -घटाओं में ऐसे पात्रों बर्तनों का उल्लेख है । ऐसा एक पात्र वनवास के समय द्रोपदी पर भी था ।
2.काव्य के रस की तुलना अक्षय पात्र से क्यों कि है?
उत्तर - जिस प्रकार अक्षय पात्र की खाद सामग्री कभी समाप्त नहीं होती , भले ही उसका उपभोग करने वाले कितना ही हो। उसी प्रकार काव्य का रस कभी समाप्त नहीं होता भले ही काव्य रस का आस्वादन करने वाले कितने भी व्यक्ति हो ।
3.मां के लिए चांद का टुकड़ा कौन है? वह उसे प्रसन्न रखने के लिए क्या करती है?
उत्तर- मां के लिए चांद का टुकड़ा उसकी संतान है । वह उसे प्रसन्ना रखने के लिए उसकी फरमाइश को पूरी करने का प्रयास करती है ।
4.बच्चे की स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए मां उसके लिए क्या क्या कार्य करती है?
उत्तर- बच्चे की स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए मां उसे स्नान कर आती है। उसके उलझे हुए बालों में कंघी करती है और स्वच्छ कपड़े पहन आती है।
5.पल्लो पुष्पों से नामित हुआ विशेष के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि साहित्य किस प्रकार पल्लवित और पुष्पित होती है?
उत्तर- कवि के अनुसार जब साहित्यिक कृति एक पूर्ण स्वरूप ग्रहण कर लेती है और उससे अलौकिक रसधार आ उठती है । तो वह स्थिति उसके लिए पल्लवित और उचित होने की होती है । अतः कवि ने साहित्यिक कृति को एक अमूल्य निधि माना है।