NCERT rubaiya Gajal Class 12 summary and explanation | summary रुबाइयाँ गजल

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In this chapter contain 

  1. चांद के टुकडे का प्रयोग किसके लिए हुआ है और क्योंरस की पुतली किसे कहा गया है
  2. फिराक की रुबाइयों में घरेलू जीवन में उभरे बिम्बों का सौंदर्य चित्रण कीजिये ।
  3. रुबाइयाँ कविता में किस रस का प्रयोग किया गया है
  4. फिराक गोरखपुरी की रुबाइयाँये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रो ले हैं ' ; इस पंक्ति का भाव होगा कि---
  5. त्योहार किस तरह हमारे चेहरे पर खुशी का भाव प्रकट कर देते हैं ? “रुबाइयाँ” के आधार पर स्पष्ट कीजिए –


NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़लclass 12 chapter 9 गजल summary, 

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़ल


फिराक गोरखपुरी  की कुछ जान्कारिया

मूल नाम = रघुपति सहाय फिराक।
जन्म =28 अगस्त सन= 1896 गोरखपुर [उत्तर प्रदेश]
शिक्षा= रामकृष्ण की कहानियों से शुरुआत बाद की शिक्षा अरबी फारसी और अंग्रेजी में 1917 में डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित, पर स्वराज आंदोलन के लिए 1918 में पद त्याग ।1920 में स्वाधीनता आंदोलन में हिस्सेदारी के कारण डेढ़ वर्ष की जेल। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में अध्यापक रहे ।
सम्मान= गूले-नगमा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार और सोवियत लैंड नेहरू अवॉर्ड।
महत्वपूर्ण कृतियां-

गुले नगमा ,बजमें  जिंदगी: रंगे शायरी ,उर्दू गजलगोई
निधन= सन 1983।


फिराक गोरखपुरी       class 12 chapter 9 रुबाइयाँ
             

             फिराक की रुबाईयो में हिंदू का एक घरेलू रूप दिखता है । भाषा सहज और प्रसन्न भी सूरदास के वात्सल्य वर्णन की सादगी की याद दिलाता है। मुझे चांद चाहिए मैया री, मैं चांद खिलौना लेहो जैसे बिंब आज भी उन बच्चों के लिए एक मनलुभावन खिलौना है । जो वातानुकूलित कमरों में बंद नहीं रहते छत पर चटाई बिछाकर सोते हैं। तथा चंदामामा के नदिया किनारे उतरने और कल्पित दूध भात खाने की कल्पना से निहाल है । मामा भी तो एक साक्षात खिलौना है बच्चों का खासकर उन बच्चों का जिनके जीवन में महंगे खिलौने भले ना हो पर जो चंद्रभा रिश्तो का मर्म समझते हैं । पाठ में फिराक की एक ग़ज़ल भी शामिल है रूप भाइयों की तरह ही फिराक की गजलों में भी हिंदी समाज और उर्दू शायरी की परंपरा भरपूर है।


काव्यांशो की सप्रसंग व्याख्या एवं शब्दार्थ

रुबाईयां

NCERT rubaiya Gajal Class 12 summary-


1.आंगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी

हाथों पे झुलाती हैं उसे गोद-भर

रह-रह के हवा में जो लोका देती है

गूँज उठती हैं खिलखिलाते बच्चे की हँसी।

लोका देना -उछाल उछाल कर प्यार करने की एक क्रिया ।

प्रसंग= रुबाईयां कविता जो हमारी पार्टी पुस्तक आरोह भाग-2 से लिया गया है । इसके रचयिता फिराक गोरखपुरी हैं।
इस कविता में कवि ने मां की ममता को अपने बेटे के प्रति व्यक्त किया है । उसका सुंदर चित्रण कवि ने रुबाईयां में किया है।

मां अपने बेटे से आंगन में दुलार कर रही है। वह अपने बेटे को हवा में उछाल रही है । अपने गोद में लेकर उसे दुलार रही है । उसकी गूंज से पूरा आंगन गूंज उठा है ।
मां अपने बेटे के अधिक स्नेह से उत्सुक हो उठती है ।


2.नहला के छलके-छलके निर्मल जल से

उलझे हुए गेसुओं में कंघी

किस प्यार से देखता हैं बच्चा मुँह को

करके जब घुटनियों में ले के हैं पिन्हाती कपड़े।

निर्मल-स्वच्छ , गैसुओ= बालों, पिन्हाति- पहनने।

प्रसंग = रुबाईयां के इस पंक्ति में कवि ने बाल सुलभ चेष्टाओं का वर्णन किया है ।

व्याख्या= मां अपने बच्चे को सुरक्षित जल से नहलाती है । उसके बिखरे हुए बालों को कंघी करती है । मां अपने नन्हे बच्चे को निहारती है । जब वह उसे घुटनों में लेकर कपड़े पहन आती है । तो नन्हा बालक प्रेम भरी दृष्टि से मां को देखता है । इस प्रकार कवि ने मां की मधुर स्नेह को बताया है।

3.दीवाली की शाम घर पुते और सजे

चीनी के खिलौने जगमगाते लावे

वो रूपवती मुखड़े पैं इक नम दमक

बच्चे के घरौंदे में जलाती हैं दिए।

दमक-चमक,घरौंदा-बच्चों द्वारा बनाया गया घर ;दिए -दीपक ,मुखड़ा-चेहरा;लावे- धान की खिला, नर्म- कोमल;धमक-प्रकाश।

प्रसंग =रुबाईयां  के इस पंक्ति में कवि ने खिलौने के प्रति बच्चे की स्नेह को दर्शाया है।

व्याख्या= बच्चे  अपने माता-पिता से खिलौने की फरमाइश करते रहते हैं। पर गरीब बच्चे की यह सभी फरमाइश सिर्फ त्योहारों में पर ही पूरी होती है ।

 दीपावली पर घर को रंग सफेद इसे चमकाया जाता है । तरह-तरह से उसे सजाया जाता है । इस त्यौहार पर बच्चों को चीनी के खिलौने मिलता है , और वह उन्हें वह पाकर खुश हो जाते हैं । उनके मुंह में चमक लौट आती है । इस प्रकार गरीब तथा अमीर के घर इस त्यौहार में चमक उठती है।


4.आँगन में ठुनक रहा हैं जिदयाय है

बालक तो हई चाँद में ललचाया है

दर्पण उसे दे के कह रही हैं माँ

देख आईने में चाँद उतर आया है

ठुनक-रोना,जिदयाया-हठकरना , आईना-शीशा,पै- पर ।

प्रसंग =रुबाईयां के इस पंक्ति में फिराक जी ने बाल स्वभाव का सजीव चित्रण बताया है। इसमें बालक की हट को मां सरलता से निकाल लेती है ।


व्याख्या= नन्हा बालक चांद को पाने की जिद में चमक रहा है। बालक की इस हट को मां सरल रूप से उसका समाधान बना लेती है। वह उसके हाथों में दर्पण थमा देती है । जिसमें चांद का प्रतिबिंब उसे दर्पण में दिखाई देता है । इस तरह मां उसे कहती है कि आकाश में चांद उसके दर्पण में ही आ गया है।

5.रक्षाबंदन की सुबह रस की पुतली

छायी है घटा गगन की हलकी-हलकी

बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे

भाई के है बाँधती चमकती राखी

लच्छे- लड़ियां ;घटा-बादल ;पुतली-पुती हुई।
रस की पुतली-रसमय परिवेश। नोरस- नौ रसो से बना । नाजुक-कोमल । गिरहे-गांठे  बू-खुशबू ;पर-पंख; गुलशन-बाग ; झपकाना-बंद करना ; शब-पल।

प्रसंग =रुबाईयां के इस पंक्ति में कभी रक्षाबंधन और सावन की झड़ी का संबंध व्यक्त किया गया है ।

व्याख्या= रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है । इस दिन भाई बहन की आंखों में प्रेम भाव दिखाई देता है। आकाश में काली घटा छाती है। कवि आकाशीय बिजली और रक्षाबंधन का मेल दिखाते हैं और कहते हैं कि जिस प्रकार हाथ पर बनी राखी के रस्सी चमकती है । वैसे ही आकाश में बिजली चमकता है । कभी बताते हैं कि घटा का जो संबंध बिजली से है। वही संबंध भाई का बहन से है ।


गजल  NCERT rubaiya Gajal Class 12 summary

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़ल


1.नौरस गुंचे पंखडियों की नाजुक गिरहैं खोले हैं

या उड़ जाने को रंगो-बू गुलशन में पर तोले हैं।तारे आँखें झपकावें हैं जर्रा – जर्रा सोये हैं

तुम भी सुनो हो यारो। शब में सन्नाटे कुछ बोले हैं।

किस्मत-भाग्य ; रो लेवे-रो लेना ;पर्दा खोलना- रहस्य बताना।

प्रसंग= प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 के काव्य खंड में संकलित फिराक गोरखपुरी कृत गजल से लिया गया है। फिराक गोरखपुरी ने इस पंक्तियों में प्राकृतिक सौंदर्य एवं एक शायर के दर्द को बताया है ।

व्याख्या= नवरस , कलियों की कोमल पंखुड़ियों की गांठे खुल कर बाहर निकलने का प्रयास कर रहे हैं । ऐसा प्रतीत होता है कि मानव नव रसों से युक्त रंगों की आभा फुलवारी में रम जाना चाहती है । 

गजलकार कहते हैं कि रात्रि का आलम ऐसा है कि तारे भी आंखें चिपकाते प्रतीत होते हैं तथा प्रकृति में रात्रि के लक्षण स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। 

पृथ्वी का कंकन सोया हुआ है । कवि यह कहना चाहता है कि भले ही चराचर में सन्नाटा छाया हुआ है तो भी इस मूल स्थिति में हृदय की पीड़ा महसूस की जा सकती है। व्यथित हृदय की पुकार स्पष्ट सुनी जा सकती है ।


2.हम हों या किस्मत हो हमारी दीनों को इक ही काम मिला

किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं।जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें

मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं।


सौदा-लेनदेन ;दीवाना-पागल ,प्रेमी । गम-दुख; पासे-आसपास ; अदब- सत्कार; ख्याल-ध्यान।

प्रसंग= फिराक गोरखपुरी ने इस काव्य पंक्तियों में स्वयं एवं अपनी किस्मत के दौरान का वर्णन किया है । दूसरी पंक्तियों में उन्होंने दूसरों पर कीचड़ उछालने वाले पर व्यंग्य किया है ।

व्याख्या=मेरी किस्मत मुझे सदैव कवि कर्म में लीन देख कर रोती रहती है । न मैं कभी किस्मत को कोसना छोड़ता हूं और ना मेरी किस्मत मुझे काव्य मनाने में देखना चाहती है। अतः दोनों ही अपनी जिद पर अड़े हुए हैं।

शायद फिराक ने इस शेर में अपने यमराज को सावधान करते हुए कहा है कि मैं हमें बदनाम करने की नाकाम कोशिश ना करें । यदि वे गुस्ताखी करते हैं। तो स्वयं भी बदनामी का दनश से लेंगे। 

क्योंकि हम दोनों के रहस्य एक ही है । एक के भेद प्रकट होने पर दूसरे के अपने आप ही भेद प्रकट हो जाएंगे ।


3.ये कीमत भी अदा करे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो-हवास

तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी हो ली हैं।तेरे गम का पासे-अदब हैं कुछ दुनिया का खयाल भी हैं

सबसे छिपा के दर्द के मारे चुपके-चुपके रो ले हैं।


फितरत-आदत ; कायम-स्थिर; आलम-संसार; हुस्नौ इश्क- प्रेम और सुंदरता;

प्रसंग = इन पंक्तियों में शायर फ़िराक़ ने अपने दीवानेपन और जुदाई के गम का सहज चित्रण किया है ।

व्याख्या=हमने मोहब्बत पाने के लिए जुदाई का दर्द सहन किया है ।हमने पूरे होशो हवास में अपनी मोहब्बत की कीमत अदा की है। दुनिया के ताने रहे हैं । 

बदनामी सही है। तुम्हारे लिए यदि हमें दीवानेपन से भी गुजरना पड़ा तो हम गुजरेंगे शायर के कहने का तात्पर्य है कि यदि मैं दीवाना हो कर भी तुम्हें प्राप्त करूं। तो यह सौदा बुरा नहीं है। शायर कहते हैं कि मैं तुम्हारे गम ए जुदाई की शिष्टता का कायल हूं । 

जुदाई का गम भी मुझे सुकून देता है। मैं तुम्हारे ऐसे ही व्यवहार और दुनिया के दुखमयी व्यवहार के कारण अपने दर्द को हृदय में छुपाया रखता हूं। रो कर किसी के सामने प्रकट नहीं करता हूं। 

दुनिया किसी का हमदर्द नहीं बन सकती। बल्कि दुखी को और दुखी करके खुश रहती है। इसलिए शायर किसी के आगे रो कर अपना दुख प्रकट नहीं करता है।


4.फितरत का कायम हैं तवाजुन आलमे हुस्नो-इश्क में भी

उसको उतना ही पाते हैं खुद को जितना खो ले हैं।आबो-ताब अश्आर न पूछो तुम भी आँखें रक्खो हो

ये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोले हैं।

आबोताब-शायराना; अशआर-चमकीला, दमकीला। रोले हैं- इकट्ठा करते हैं।

प्रसंग= प्रस्तुत पंक्तियों में शायर ने मोहब्बत के उसूलों की बात कही है ।
व्याख्या= शायर कहते हैं कि इश्क मोहब्बत में भी संतुलन की आदत देखने को मिलती है अर्थात यह कुछ खोकर ही पाई जा सकती है। मोहब्बत में सिर्फ पाने की इच्छा नहीं रखी जा सकती है । 

अतः हम भी उसे स्वयं को खोकर कर प्राप्त करते हैं। लेनदेन के व्यवहार में गजब का संतुलन है । जो शायर को आकृष्ट करता है । शायर दुनिया को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे दुनिया वालों! हमारी चमक-दमक देख कर कोई प्रश्न ना करें जो भी है तुम्हारी आंखों के सामने हैं।

 जिस जगमगाहट को देखकर तुम्हारी आंखें चुन्धियाँ गई है । वह शेरो शायरी के कारण है या फिर हमारे द्वारा बटोरे गए मोतियों की चमक है । शायर के कहने का आशय है कि दुनिया चमक-दमक से प्रभावित होती है। जबकि वास्तविकता से अनभिज्ञ रहती है।


5.ऐसे में तू याद आए है अंजुमने-मय में रिंदों को

रात गए गर्दूं पै फ़रिश्ते बाबे-गुनह जग खोलेसदके फिराक एजाज-सुखन के कैसे उड़ा ली ये आवाज

इन गजलों के परदों में तो ‘मीर’ की गजलें बोले हैं।


रिंदों-शराबी; फरिश्ते-अवतार ; बाबेगुनाह-पाप का अध्ययन करना ।
सदके-न्योछावर ।

प्रसंग= प्रस्तुत पंक्तियों में शायर ने खुद पर आए संकट को और स्वयं की गजलों पर "मीर" साहब की गजलों का वर्णन किया है।

व्याख्या=शायर अपने प्रियतम को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे प्रिय तुम ऐसे समय में याद आती हो जब शराबी मयखाने में शराब का आनंद ले रहे होते हैं । यह वही समय होता है । 

जब फरिश्ते आसमान में  जाकर दुनिया के पापों का अध्याय खोलते हैं। शायर के कहने का आशय है कि जीवन में किए गए बुरे कार्यों की सजा अंत समय में भुगतनी पड़ती है ।

 तुम्हारी इतनी बेहतरीन शेरो शायरी पर या फिर आप खुद को कुर्बान करता है । इन गजलों में तो महान गजल कार मीर की गजलों की झलक मिलती है। आशय यह है कि फिराक आज भी मीर की भांति अच्छी गजलें रचते हैं । इनकी शायरी का अंदाज ए बयां मीर से मेल खाता है।

पाठ के साथ

Short answer type question🙋 of NCERT rubaiya Gajal Class 12 summary


1.शायर राखी के धागे को बिजली की चमक की तरह कह कर क्या भाव  बताना चाहते है?

उत्तर= शायर फिराक गोरखपुरी ने रक्षाबंधन के पावन पर्व पर भाई-बहन के संबंध की मधुर कल्पना की है । साधारण परिवारों के बच्चे पर्व त्यौहार पर कुछ छोटी-छोटी भेंट पाते हैं। ऐसे में रक्षाबंधन पर्व की अवसर पर बहन द्वारा भाई की कलाई पर बांधी गई राखी ही किसी चमत्कारी उपहार से कम नहीं है । राखी के धागे की चमक  बिजली का आभास देती है । उनके हृदय में खुशियांली का कारण बनती है ।

2.खुद का पर्दा खोलने से क्या आशय है ?

उत्तर =खुद का पर्दा खोलने से शायर का आशय हमराज के रहस्य उद्घाटन से है । यदि शायर को बदनाम करने के उद्देश्य से उसके हमराज ने कोई भेद खोला तो वह स्वयं बदनाम हो जाएगा। क्योंकि दोनों के रास्ते एक ही है । एक के भेद प्रकट होने पर दूसरे के भेद स्वयं ही प्रकट हो जाएंगे ।

3.किस्मत हम को रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं -  इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तना-तनी का रिश्ता अभिव्यक्त किया हुआ है । चर्चा कीजिए ।

उत्तर= शायर फिराक गोरखपुरी जब तक अपनी किस्मत पर रोते रहते हैं। वह अपनी किस्मत को जी भर कर कोसते हैं पर दूसरी और उनकी किस्मत की स्थिति भी दयनीय बनी हुई है। वह शायर के जीवन के प्रति रुक्ष दृष्टिकोण को देखकर दुखी रहते हैं । वह शायर के बेपरवाह जीवन पर अपनी आंसू बहा लेती है। इस प्रकार शायर और उसकी किस्मत में एक दूसरे के प्रति होड़ की भावना उत्पन्न हो गई है। शायर के निरंतर काव्य सृजन करते  रहने से उसकी किस्मत उस पर रोती रहती है ।

4टिप्पणी करें
(क) गोदी के चांद और गगन के चांद का रिश्ता ।
(ख) सावन की घटाएं व रक्षाबंधन का पर्व।

उत्तर=
() गगन का चांद अपने अनुपम सौंदर्य के कारण सभी का प्रिय बना हुआ है । गोदी के चांद का  अर्थ अत्यंत सुंदर बालक से हैं। हर मां के लिए उसका लाडला चांद से कम नहीं होता । इसलिए हर मां अपने नन्हे बालक को चांद कह कर संबोधित करती है । यह उपमा एक माँ के हृदय की मधुर कल्पना व्यक्त करती है।

() रक्षाबंधन का पर्व सावन के महीने में आता है । सावन के महीने में आकाश में झीने घटाएं छाई रहती है और इन घटाओं में अक्सर बिजली चमकती है। यही बिजली बहन द्वारा भाई के हाथ में बांधी गई राखी के धागे में चमकती दिखाई देती है । इस प्रकार कहा जा सकता है कि सावन की घटाओं का जो संबंध बिजली से है वही संबंध भाई का बहन से हैं । अत : रक्षाबंधन से है ।

कविता के आसपास 

NCERT rubaiya Gajal Class 12 summary

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़ल

1.इन रुबाईयो से हिंदी , उर्दू और लोक भाषा के मिले-जुले प्रयोगों को बताइये।

उत्तर=
• आंगन के लिए चांद का टुकड़े।
उलझे हुए केशो में कंघी करके ।
• वह रूपवती मुखड़े पर इक नर्म दमक।

हिंदी, उर्दू और लोकभाषा -
• रह-रह के हवा में जो धोखा देती है।
• जब घुटनियों में ले के  है पिन्हाती कपड़े। • • आंगन में ठुनक  रहा है जिदयाया है।
• बालक तो हुई चांद पे ललचाया है ।
• रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली।

Long answer type question🙋

1.रुबाईया से क्या आशय है ?
उत्तर= रुबाईया उर्दू और फारसी का छंद या लेखन शैली है । इसकी पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में काफिया मिलाया जाता है तथा तीसरी पंक्ति स्वच्छंद होती है।

2.बच्चों को चंद्रमा से क्यों लगाव रहता है?
उत्तर= बच्चों को चंद्रमा से लगाव पैदा करने वाली स्वयं माताएं ही होती है। कभी रोते हुए बालक को चंद्रमा दिखा कर कहती है, देख आसमान पर चंदा मामा है ।  कभी कहती है देख कैसा खिलौना है । स्वयं चंद्रमा में अपना भी आकर्षण है । अतः बालक उसे पाने के लिए यदा-कदा ज़िद भी कर बैठता है ।

3.अपनी रुबाईया में फिराक में कुछ विलक्षण प्रयोग किए हैं । उनकी सूची बनाइए ।
उत्तर = हिंदी,उर्दू लोक भाषा के शब्दों को लेकर फिराक ने कुछ विलक्षण प्रयोग किए हैं। यथा -
• रह रह के हवा जो लो का देती है ।
उलझे हुए गेसुओ में कंघी करना ।
घुटनियो में ले के है पिन्हाति कपड़े ।
रूपवती मुखड़े पर इक नर्म दमक।
रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली ।

4.फिराक की रुबाईयो का ग़ज़ल से कुछ बिंबू के उदाहरण दीजिए।
उत्तर= फिराक ने बिंबों का प्रचुरता से प्रयोग किया है । कुछ उदाहरण देखें -
गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हंसी।
उलझे हुए गेसुओ में कंघी करना ।
घुटनियो में ले के है पिन्हाति कपड़े ।
चीनी के खिलौने जगमगाते लावे बिजली की तरह चमक रहे हैं धागे तारे आंखें झपकावे हैं चुपके-चुपके रो ले हैं।

class 12 chapter 9 mcq of रुबाईयो

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़ल

1.किसके लच्छे चमक रहे हैं ?
उत्तर = राखी के ।

2.राखी के लच्छे किस तरह चमक रहे हैं? उत्तर = बिजली ।

3.रुबाईयां में किस रस का प्रयोग है ?
उत्तर = वात्सल्य ।

4.रात्रि के गहन अंधकार में प्रकृति का क्या सोया हुआ है?
उत्तर = कंकण ।

5.रात गए फरिश्ते आकाश में संपूर्ण संसार का क्या खोलते हैं ?
उत्तर = पाप का अध्याय ।

6.कवि अपने गजलों को किन के प्रति समर्पित करता है?
उत्तर = मोर ।

7.फितर कायम है तवाजून आलगे हुस्नौ इश्क में भी पंक्ति में कौन सी भाषा है ?
उत्तर = उर्दू फारसी ।

8.तेरे गम का पासे  अदब है कुछ दुनिया का ख्याल भी पंक्ति में भाषा कौन सी है ?
उत्तर = उर्दू फारसी ।

9.सदके  फिराक एजाजे सुखन के कैसे उड़ा ली ये आवाज पंक्ति में भाषा कौन सी है ?
उत्तर = उर्दू फारसी ।

10.पठित ग़ज़ल के अनुसार रात के सन्नाटे क्या कर रहे हैं ?
उत्तर = कुछ बोल रहे हैं ।

11..गजल के अनुसार रात में कौन बोल रहा है?
उत्तर =  तारे ।

12..ग़ज़ल के अनुसार आंखें कौन झपका रहा है?
उत्तर = तारे ।

13.फितर का कायम है तवाज़ुन यहाँ "तवाज़ुन" का क्या अर्थ है ?
उत्तर = संतुलन ।

14.फितरत का कायम है तवाज़ुन यहां "फितरत" का क्या अर्थ है ?
उत्तर = आदत ।

15.'रात गए गर्दू पर फरिश्ते' यहा गर्दु का अर्थ क्या है ?
उत्तर = आकाश ।

16..तारे आंखें झपकावे हैं , जरा जरा सोए हैं यहां "जरा जरा" का क्या अर्थ है?
उत्तर = कंकण

17..रुबाईयां कविता में किस के लच्छे चमक रहे हैं ?
उत्तर = राखी के ।

18..रुबाईयां कविता के लेखक कौन है ?
उत्तर = फिराक गोरखपुरी ।

19.फिराक गोरखपुरी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर = 28 अगस्त सन 1896 ।

20.फिराक गोरखपुरी का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर =  गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)

21..कवि के महत्वपूर्ण कृतियां कौन-कौन सी है?
उत्तर = गुले-नगमा ,बजमें जिंदगी,रंगे-शायरी,उर्दूगजलगोई आदि।

22.लेखक का निधन कब हुआ था?
उत्तर = सन 1983। 

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