Ncert class 12 hindi aaroh chapter 7 बादल राग summary-badal raag summary 2022

 Ncert class 12 hindi aaroh chapter 7 बादल राग summary| class 12 hindi badal raag summary

Ncert class 12 hindi aaroh chapter 7 बादल राग summary| class 12 hindi badal raag summary


This Blog content
1.बादल कविता ।
2.तिरती है समीर-सागर परबादल राग। 

3.कविता में कवि का अभिप्राय बताइ।
4.एकवि बादल को कौन कौन-से रूपों में।

 5.देखता है विस्तार से बताइए।
6.ऐ जीवन के पारावार में कौन सा अलंकार है।
7.बादल राग' कविता की मूल संवेदना।
8.बादल राग कविता का प्रकाशन वर्ष।
9.बादल राग कविता है।
10.बादल राग 6
11..बादल राग कविता के प्रश्न उत्तर।
12.बादल राग कविता का सारांश।
13..बादल राग कविता में बादल किसका प्रतीक है। 


Ncert class 12 hindi aaroh chapter 7 बादल राग summary Bhaadal Raag summary class 12 with important question


Ncert class 12 hindi aaroh chapter 7 बादल राग summary


कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय - badal raag summary

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म सन 1899 में बंगाल के मेदिनीपुर ज़िलें के महिषादल नामक गांव में हुआ। इसके पिता का नाम श्री राम सहाय त्रिपाठी था। मैं उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के निवासी थे। बाद में नौकरी के लिए महिषादल चले गए। 


निराला की प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई ।14 वर्ष की अल्पायु में ही उनका विवाह मनोहरा देवी से हुआ। किंतु उनका पारिवारिक जीवन सुख में नहीं रहा ।1918 में ही इनकी पत्नी की मृत्यु हो गई । बाद में एक-एक कर उनके परिवार के सभी सदस्य की मृत्यु ने उन्हें बहुत व्यतीत कर दिया।


 उनकी एकमात्र पुत्री सरोज के निधन ने तो उन्हें हिला कर रख दिया। उन्होंने संस्कृत , बंगला तथा अंग्रेजी का अध्ययन किया । उनको साहित्य के अतिरिक्त दर्शन व संगीत के प्रति रुचि थी । उनकी विचारधारा पर स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद का गहरा प्रभाव पड़ा। 


उनका व्यक्तित्व निराला था । इसी कारण उनका साहित्य जगत में निराला नाम पड़ा ।बंगाल में जन्म लेने और वहां रहने के कारण उनकी मातृभाषा बांग्ला जैसी ही थी। किंतु उन्होंने हिंदी पत्रिकाओं सरस्वती तथा मर्यादा की पुरानी पत्रिकाओं के मध्य से हिंदी में दक्षता प्राप्त की ।


 अनेक पारिवारिक विपत्तियों के को खेलते हुए वे कवि कर्म में  जुटे रहे। उन्होंने समन्वय मतवाला तथा शुद्ध नामक पत्रिकाओं का संपादन किया । वे स्वभाव से अत्यधिक स्वाभिमानी तथा क्रांतिकारी थे। 1961 में उनका देहांत हो गया।


प्रमुख रचनाएं - परिमल ,अनामिका, गीतिका, अपरा नए पत्ते, राम की शक्ति पूजा, लिली, सखी, चतुरी चमार आदि।

साहित्यिक विशेषताएं- निराला ने हिंदी साहित्य में काव्य लेखन के साथ-साथ पद लेखन पर भी समान अधिकार रखा। उनकी प्रतिभा के दर्शन उनकी सभी प्रकार की रचनाओं जैसे काव्य उपन्यास कहानी निबंध आलोचना आदि में होते हैं ।


 उन्होंने अपनी रचनाओं के अंतर्गत प्रकृति का सुंदर एवं सजीव चित्रण किया । सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण के दर्शन कराए स्वतंत्र और राष्ट्र प्रेम के प्रति लोगों में चेतना भरने का प्रयास किया। भाषा शैली निराला ने शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली की हो अपनी काव्य भाषा बनाया। 


उनकी भाषा पर संस्कृत बंगला व फारसी का  प्रभाव है। उनका शब्द चयन और भावों की अभिव्यक्ति अनुपम है। उन्होंने हिंदी साहित्य रचना में मुक्त छंदों का प्रयोग किया।


कविता का सारांश -Ncert class 12 hindi aaroh chapter 7 बादल राग summary

बादल राग - badal raag summary


कविता के अनामिका नामक संग्रह में बादल राग कविता छह खंडों में संकलित है। 

प्रस्तुत पद बादल राग का छठा खंड है। इस कविता में कवि का आह्वान क्रांति के रूप में रह रहा है। एक और बादल के आगमन से कृषक मजदूर जैसे छोटे लोगों का हित होता है । तो दूसरी ओर से क्रांति से भी छोटे ही लाभ में रहते हैं। क्रांति के विप्लव में स्थिर सुख नष्ट होते हैं । 

छोटे तो स्वभाव ही पाते हैं। अतः किसान मजदूर की आकांक्षाएं बादल को नव निर्माण के राग के रूप में पुकार रही है। अरे विप्लव के बादल संसार के तपन से तक पृथ्वी पर तेरी गर्जना आशा का संचार करती है । जब तेरी भयंकर गर्जना होती है तब तू मूसलाधार वर्षा करता है। 


जब तू भयंकर आवाज करता है। तो संसार भयभीत हो जाता है। ए बादल जब तू वज्रपात करता है, तो पर्वतों के शरीर भी क्षत-विक्षत हो उठते हैं। तेरी आकाश से भी मुकाबला करने की प्रवृत्ति से बड़े-बड़े वीर भी घबरा जाते हैं। दूसरी और तू अपने जल से छोटे-छोटे पौधे को भी आनंदित करता है।


 वनस्पति हिल-हिल कर अपनी प्रसन्नता को व्यक्त करती हुई ऐसी लगती है, कि मानो वह हाथ हिलाकर तुझे बुला रहे हैं । कवि बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि तू विप्लव राग गा रहा है और विप्लव से लघु मानव का ही हित हो रहा है। जल विप्लव प्लावन सदा पंख पर ही होता है। 


खिलते हुए कमलों से तो सदैव जल वर्शन होता ही रहता है। बादल के वज्र गर्जन से यानी क्रांतिकारी के विप्लव घोष से कोश बंद हो जाती है । प्रसन्नता दुख में बदल जाती है। धनी जनों के हृदय आतंक से कांप जाते हैं। भयभीत होकर वे अपने मुख और नेत्र छिपा लेते हैं । 


उनकी भुजाएं कमजोर है । किसानों तथा मजदूरों कि शरीर को इन धनी व्यक्ति ने चूस लिया है। इस जीवन का मात्र निर्धन के जीवन परावर तू ही है । वस्तुतः बादल राग के माध्यम से कवि ने किसानों मजदूरों की दिन-हीन दशा का वर्णन किया है ।

काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या एवं शब्दार्थ  - badal raag summary class 12


1.

तिरती हैं समीर-सागर पर

अस्थिर सुख पर दुख की छाया-

जगके दग्ध हृदय पर

निर्दय विप्लव की प्लावित माया-

यह तेरी रण-तरी

भरी आकांक्षाओं से,


धन्, भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर

उर में  पृथ्वी के, आशावों से

नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,

ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादलफिर-फिर


बार-बार गर्जन

वर्षण है मूसलधार,

हृदय थाम लेता संसार,

सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।


शब्दार्थ= तिरती-तैरती। समीर-सागर-वायुरूपी समुद्र। अस्थिर- क्षणिक, चंचल। दग्ध-जला हुआ। निर्दय- बेदर्द। विलव- विनाश। प्लावित- बाढ़ से ग्रस्त। रण-तरी- युद्ध की नौका। माया- खेल। आकांक्षा-कामना। भेरी- नगाड़ा। सजग- जागरूक। सुप्त- सोया हुआ। अंकुर- बीज से निकला नन्हा पौधा। उर- हृदय। ताकना- अपेक्षा से एकटक देखना। वर्षण-बारिश। मूसलधार-जोरों की बारिश। हृदय थामना- भयभीत होना। घोर- भयंकर। वज्र- हुंकार-वज्रपात के समान भयंकर आवाज़। अशनि-पात- बिजली गिरना। शापित- शाप से ग्रस्त।



प्रसंग-यह पद्यांश अनामिका में संकलित बादल राग से लिया गया है। इसके रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला है । इस अंश में बादलों के आगमन को क्रांति के रूप में वर्णित किया गया है।



व्याख्या- बादल फिर-फिर कर बार-बार गर्जना करते हुए मूसलाधार रूप में बरस रहे हैं। इस वर्षा की और गंभीर वज्र जैसी डरावनी हूंकार को सुनकर संसार हृदय थामकर प्रतीत होता है । संसार भयंकर तपन से तब रहा था। अब सागर के विराट पक्ष पर ठंडी वायु तैर रही है। इसी प्रकार जब क्रांति का आगमन होता है । 


क्रांतिकारियों को घोर गर्जना होती है । तो उसका प्रभाव भी व्यापक क्षेत्र पर पड़ता है । जिसके पास सुख के साधन होते हैं। वह क्रांति के आगमन से दुखी हो उठते हैं। वर्षा भी छोटे-मोटे सुखो को अपने में समेटती आगे बढ़ जाती है। क्रांति भी पुथल पुत्र करती छोटी-मोटी सुखों को नष्ट करती है ।


 क्रांतिकारी का युद्ध घोष सजग बनता है । बादल भी तो यही करता है। पृथ्वी के भीतर अवस्था में बड़े भी जो समान प्रभाव डालते हैं । क्रांति के समान सोई हुई जनता नींद को त्याग कर नई आशाएं एवं उल्लास से भर नूतन जीवन निर्माण में लग जाती है। संसार की जलन को देख कर ही तो बादल आते हैं । जनता के कष्टों की भयावहता ही क्रांति की जननी बनती है।


सौंदर्य बोध- कवि ने क्रांति दूत के रूप में बादलों का आह्वान किया है । बादल और क्रांति के प्रभाव की समानता वर्णित है । समीर सागर में अनुप्रास व रूपक अलंकार है। रन-तरी में रूपक अलंकार है तथा सजग सुप्त में अनुप्रास अलंकार है। बार-बार फिर फिर मैं पुनरुक्ति अलंकार है । छंद विहीन कविता है । प्रकृति के कठोर रूप का वर्णन हुआ है । विभिन्न प्रकार के सुंदर शब्द है।

Ncert class 12 hindi aaroh chapter 7 बादल राग summary



2.

अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर,

क्षत-fवक्षतं हतं अचल-शरीर,

गगन-स्पर्शी स्पद्र्धा धीर।

हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार

शस्य अपार,

हिल-हिल ,

खिल-खिल,

हाथ हिलाते,

तुझे बुलाते,

विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।



अट्टालिका नहीं है रे

आंतक–भवन

सदा पंक पर ही होता

जल-विप्लव-प्लवन,

क्षुद्र प्रफुल्ल जलजं से

सदा छलकता नीर,

रोग-शोक में भी हसता है

शैशव का सुकुमार शरीर।


शब्दार्थउन्नत- बड़ा। शत-शत-सैकड़ो। विक्षप्त- घायल। हत- मरे हुए। अचल- पर्वत। गगन- स्पर्शी- आकाश को छूने वाला। स्पद्र्धा –धीर-आगे बढ़ने की होड़ करने हेतु बेचैनी। लघुभार- हलके। शस्य- हरियाली। अपार- बहुत। रव- शोर। अट्टालिका–अटारी, महल। आतंक –भवन-भय का निवास। यक- कीचड़। प्लावन- बाढ़। क्षुद्र- तुच्छ। प्रफुल- खिला हुआ, प्रसन्न। जलज-कमल। नीर- पानी। शोक-दुख। शैशव- बचपन। सुकुमार- कोमल।



प्रसंग- यह पद्यांश अनामिका में संकलित बादल राग से लिया गया है। इसके रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला है । प्रस्तुत अंश में बादल द्वारा की गई वर्षा व क्रांति के प्रभाव का वर्णन है।


व्याख्या -आकाश को छूने की होड़ करते हुए धीरे गंभीर करने वाले बादल तथा क्रांति का उद्घोष करने वाले वीर वज्रपात से बड़े-बड़े वीरों को धराशाई कर देते हैं। बादल वज्रपात कर देते हैं। बादल वज्रपात से पर्वत की चोटियों को भी नष्ट भ्रष्ट करता है ।तो क्रांतिवीर बड़े-बड़े सैकड़ों गर्वीले वीरों को लहूलुहान करके घायल कर देते हैं । 


अथवा मृत्यु को पहुंचा देते हैं। बादल के आगमन से छोटे-छोटे पौधों को प्रसन्नता होती है। चारों ओर हरियाली फैलती है । यह पौधे मानो अपनी प्रसन्नता प्रकट करते हुए हिल-हिल कर बादलों को आमंत्रित करते हैं । क्रांति से भी हमेशा लघु मानव प्रसन्न होता है । क्रांति का उद्घोष होते ही समाज के वंचित तबका छोटे लोगों का समाज प्रसन्न होता है। 


क्रांतिकारियों को इन छोटे लोगों का ही आमंत्रण समर्थन व सहयोग मिलता है। क्रांति से महलों में रहने वाले प्रसन्न नहीं होते उनको अपने सुखों के ही जाने का भय सताता रहता है । कमल कीचड़ में ही खिलता है । कमल के खिलने स्वभाव से आनंद काजल तक पता ही रहता है।


 क्रांति छोटे लोगों के मुख् पर प्रसन्नता लाती है। क्योंकि क्रांति करने वाले भी लघु मानव ही होते हैं। जिस प्रकार छोटा सा बालक रोग शोक के अवसरों पर ही हंसता है । उसी प्रकार क्रांति की उथल-पुथल भी लघु मानव को प्रसन्नता ही देते हैं ।


सौंदर्य बोध-बादल के क्रांतिकारी स्वरूप के माध्यम से समाज के क्रांति के बाद बदले स्वरूप का उल्लेख है । क्रांति के पक्षधर छोटे लोग होते हैं । इस परिवर्तन से उनकी स्थिति में सुधार आता है । 


भाषा संस्कृति की तत्सम शब्द वाली से है । पौधे के हंसने-हंसते हैं। छोटे पौधे लघु भार में मानवीकरण अलंकार है । समस्त छंद में तेज अलंकार है तथा शत-शत ,हिल-हिल, खिल- खिल में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। पद्यांश छंद विहीन है। साथ ही लय का ध्यान रखा गया है ।



3.

रुद्ध कोष हैं, क्षुब्ध तोष

अंगना-अगा सो लिपटे भी

आतंक अंक पर काँप रहे हैं।

धनी, वज्र-गर्जन से बादल

त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।  रुद्ध कोष है, क्षुब्ध तोष

अंगना-अग से लिपट भी

आतंक अंक पर काँप रहे हैं।



धनी, वज्र-गर्जन से बादल

त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।

जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर,

तुझे बुलाता कृषक अधीर,

ऐ विप्लव के वीर!

चूस लिया हैं उसका सार,

धनी, वज़-गजन से बादल।

ऐ जीवन के पारावार!


शब्दार्थ =रुदध- रुका हुआ। कोष- खजाना। क्षुब्ध- कुद्ध। तोष- शांति। अंगना- पत्नी। अंग-शरीर। अक- गोद। वज्र-गर्जन-वज्र के समान गर्जन। त्रस्त- भयभीत। जीर्ण-पुरानी, शिथिल। बहु- भुजा। शीण-कमजोर। कृषक- किसान। अधीर- व्याकुल। विप्लव- विनाश। सार- प्राण। हाड़- मात्र-केवल हड्डयों का ढाँचा। यारावार- समुद्र।



प्रसंग - यह पद्यांश अनामिका नामक संकलन में संकलित बादल राग से लिया गया है । इसके रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला है ।इस अंश में कृषक की पीड़ा व उसके आमंत्रण का वर्णन है।


व्याख्या- कवि बादल को संबोधित करते हुए उसे जीवन के हद सीमा कहता है । वस्तुतः जीवन जल तो बादल पर ही निर्भर करता है । जल ही तो जीवन है । कृषक के लिए तो बादल जीवन वह दोनों ही देता है। क्रांति के आगमन पर धनी व्यक्ति आतंकित हो उठते हैं। 


वह भावी संकट की आशंका से कांप उठते हैं। कृषक की दशा का वर्णन करते हुए कवि कहता है कि किसान बहुत ही गरीब हो गए हैं। उनकी बड़ी जर्जर अवस्था है ।


 बहुत भयभीत है। अतः अपने नेत्र और मुख् को झीपा कर निराश बैठे हैं। कृषक के शरीर में कोई सत्त्व नहीं रह गया है। वह अब अस्थि पंजर मात्र है। ऐसी स्थिति में बादल व क्रांतिवीर ही कृषक का कुछ हित कर सकता है।


सौंदर्य बोध- कृषक के माध्यम से दीन-हीन समाज की दयनीय अवस्था का वर्णन किया गया है। बादल कृषक को जल जीवन देता है और क्रांति सदैव दीन-हीन के हित में होती है। भाषा संस्कृत की तत्सम शब्दावली से युक्त है । साथ ही अनुपम बिंब विधान है।


पाठ्यपुस्तक के प्रश्न उत्तर - Ncert class 12 hindi aaroh chapter 7 बादल राग summary
कविता के साथ 


1.अस्थिर सुख दुख की छाया पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर-"अस्थिर सुख पर दुख की छाया" पंक्ति में दुख की छाया क्रांति की आशंका को कहा गया है। जिनके पास उसके साधन होते हैं। वह क्रांति से सदैव डरते रहते हैं । क्रांति उनका ही तो कुछ लेगी जिन पर कुछ है। अत: सुविधा संपन्न लोगों का सुख अस्थिर होता है और क्रांति की संभावना उनको सदैव इंतजार करती रहती है। इसी प्रकार इसे दुख की छाया कहा  हैं ।


2.अशनि- पात से शापित उन्नत शत- शत वीर पंक्ति में किसकी और संकेत किया गया है?

उतर-अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में क्रांति विरोधी गर्वीले वीरों की ओर संकेत है । जो क्रांतिकारियों के वज्र घाट से घायल होकर क्षत-विक्षत हो जाते हैं। अशनि-पात से जहां पर्वत की चोटियां क्षत-विक्षत होती है। वहां क्रांतिकारियों के प्रहार से बड़े-बड़े वीर धारा शाही हो जाते हैं।


3.विप्लव ग्रह से छोटी सी है शोभा पाते पंक्ति में विद्रोह रस से क्या तत्पर्य है ? छोटे ही हैं शोभा बातें ऐसा क्यों कहा जाता है?

उत्तर-"विप्लव रस से छोटे ही है शोभा पाते " मैं विप्लव रस से तात्पर्य क्रांति से है । वस्तुतः जब क्रांति होती है तो उसका लाभ सामान्य जन लघु मानव छोटे लोग या सर्वहारा को ही मिलता है । क्रांति उधल करती है । संपन्न से कुछ झिनता है। अतः छोटे लोग ही लाभ में रहते हैं । इसी भाव में कवि ने छोटी ही है तो हा पाते कहा है ।


4.बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है ?

उत्तर- बादलों के आगमन से प्रकृति में अनेक प्रकार के परिवर्तन होते हैं । समीर बहने लगती है । बादल गर्जना करते हैं । मूसलाधार पानी बरसता है । बिजली गिरने से पर्वत शिखर क्षत-विक्षत हो जाते हैं। छोटे-छोटे पौधे खिल उठते हैं । कमलो से जल टपकने लगता है ।


Ncert class 12 hindi aaroh chapter 7 बादल राग summary



अन्य महत्वपूर्ण परीक्षा योगी प्रश्न उत्तर  - Ncert class 12 hindi aaroh chapter 7 बादल राग summary


Long Answer Type question🙋


1.जंग के दद्दा हृदय पर निर्द य विप्लव की प्रावित माया पंक्ति द्वारा कवि क्या स्पष्ट करना चाहता है ?


उत्तर -कवि के अनुसार बादल के भीतर सृजन और ध्वंस की शक्ति एक साथ समाहित होती है। कभी वह सूखा गिराकर अकाल की स्थिति पैदा कर देता है। ऐसी दशा में किसान को भूखे मरने की नौबत आ जाती है। इसी प्रकार कभी बादल अतिवृष्टि करके भी जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर देते हैं । ऐसी स्थिति में भी धन-जन की हानि होती है। इस प्रकार कवि ने बादलों को क्रांति एवं  बदलाव के अग्रदूत के रूप में संबोधित किया है ।


Short Answer Type question🙋


1. हिर्दय थाम लेता संसार पंक्ति के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि संसार अपना हिर्दय क्यों थाम लेता है?

उत्तर- वर्षा काल में बादल घोर गर्जना करते हुए मूसलाधार बरसते हैं। ऐसे में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है । इसी प्रकार बादलों की घोर गर्जना सुन सुनकर संसार अपना हृदय थाम लेता है।


2.बादल पर निराला ने कितनी कविताएं लिखी है और वह किस ग्रंथ में संकलित है?

उत्तर-निराला ने बादल नामक कविता छह खंडों में लिखा है । इस दृष्टि से बादल से संबोधित कविताएं छा है । यह समस्त कविताएं अनामिका नामक संकल में संकलित है ।


3.बादल को कवि ने विप्लव के बादल क्यों कहा है ?

उत्तर-बादल व्यवस्था को उलट-पलट देता है। बादल कभी-कभी भयंकर रूप धारण कर लेते हैं । मूसलाधार वर्षा के बाद बाढ़ जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर देती है। बादल का यह विनाशकारी रूप विप्लवी बन जाता है ।अतः कवि ने उसको विप्लव विशेषण दिया है ।


4.तुझे बुलाता कृषक अधीर का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-ग्रीष्म ऋतु में जल के अभाव में कृषक समुदाय तरह-तरह के कष्टों को सहन करता है। बादल की प्रतीक्षा व बड़ी अधीरता से करता है। क्योंकि उसके बाद ही नई फसल की बुआई होती है और पिछली फसल लहलहा उठती है । अतः कृषक बादल को आमंत्रित करता है और अधीरता से उसके आने की प्रतीक्षा करता है।


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Other question🙋 -Ncert class 12 hindi aaroh chapter 7 बादल राग summary


1.अट नहीं रही है कविता में कवि ने किसकी व्यापकता का वर्णन किया है?
उत्तर- कविता से हमें सन्देश मिलता है कि जिस प्रकार बसंत का आगमन होता है उसी प्रकार समस्त सृष्टि मोहक हो जाती है, उसी प्रकार हमें भी अपने श्रेष्ठ कार्यों से समाज, राष्ट्र और विश्व को कृतज्ञ बनाना चाहिए।  हमें इस तरह से काम करना चाहिए कि हर कोई हमारी तारीफ करे।


2.उत्साह कविता में नवजीवन का प्रतीक कौन है?
  उत्तर 'उत्साह' कविता में विशेषण 'नया जीवन' दो शब्दों से जुड़ा है- बादलों के साथ और कवि के साथ।  ... कवि को 'नवजात' इसलिए कहा गया है क्योंकि वह दबे-कुचले लोगों के जीवन में जोश भरकर एक नया जोश भर देता है।


3.उत्साह कविता में कवि ने बादल के रूप में क्या संदेश दिया है?
उत्तर: 'उत्साह' कविता में कवि 'सूर्यकांत त्रिपाठी निराला' ने जीवन में सकारात्मकता अपनाने का संदेश दिया है।  किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए शरीर में ऊर्जा के संचरण के लिए उत्साह का होना आवश्यक है।


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