class 12 | दिन जल्दी जल्दी ढलता हैं | हरिवंश राय बच्चन | आरोह काव्य खंड |

class 12 | दिन जल्दी जल्दी ढलता हैं | हरिवंश राय बच्चन | आरोह काव्य खंड |din jaldi jaldi dhalta hai|


class 12 | दिन जल्दी जल्दी ढलता हैं | हरिवंश राय बच्चन | आरोह काव्य खंड- din jaldi jaldi dhalta hai|

 

 class 12 | दिन जल्दी जल्दी ढलता हैं | हरिवंश राय बच्चन | आरोह काव्य खंड |

 दिन जल्दी जल्दी ढलता है, 

लेखक -हरिवंश राय बच्चन।

 


जन्म           =  सन्1960,इलाहाबाद


प्रमुख रचनाएं= मधुशाला,मधुबाला, मधुकलश,सतरंगीनी आदि ।


निधन          = सन् 2003,मुंबई में।


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दिन जल्दी जल्दी ढलता है - class 12 | दिन जल्दी जल्दी ढलता हैं | हरिवंश राय बच्चन | आरोह काव्य खंड |

class 12 दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं,



1.हो जाए ना पथ में रात कहीं

मंजिल भी तो है दूर नहीं-

यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी जल्दी चलता है

दिन जल्दी जल्दी ढलता है।


प्रसंग =दी गई कविता हमारी पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 के काव्य खंड से लिया गया है । इसके लेखक "श्री हरिवंश राय बच्चन जी" हैं । कविता का नाम "दिन जल्दी जल्दी ढलता है "।

व्याख्या- कवि इस पंक्ति में कहते हैं ,कि जीवन की यात्रा बहुत तेजी से बीता जा रहा है, और तुम्हारी मंजिल भी दूर नहीं है। इसलिए तुम्हें भी जल्दी आगे बढ़ना चाहिए। जैसे दिनभर चलकर पथिक भी थक जाता है ,और शाम होने पर अपनी कदम जल्दी से उठाता है। उसी प्रकार जीवन समाप्त होने से पहले तुम्हें भी अपनी लक्ष्य प्राप्त कर लेना चाहिए।



2.बच्चे प्रत्याशा में होंगे

नीडो से झांक रहे होंगे-

यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है ।

दिन जल्दी जल्दी ढलता है ।


class 12 दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं,


प्रसंग =इस पंक्ति के माध्यम से कवि कहते हैं कि शाम के समय प्रकृति की अद्भुत हलचल होती है।  उससे कवि हमें प्रेरणा लेने के लिए कहते हैं ।


व्याख्या- शाम होने पर घोसले में बैठे पक्षियों के बच्चे कुछ पाने के लिए चिल्ला उठते हैं ।जैसे ही चिड़ियों को अपने बच्चे की याद आती है। 

वह उनके लिए कुछ लेकर घोंसले में जाते हैं,और अपनी मां को देखकर बच्चे चंचला उठते हैं । उनकी पंखों का भाव देखा जा सकता है ।

कहने का अर्थ है कि शाम होते ही चिड़िया अपने बच्चे के पास चली जाती है । इसी प्रकार जीवन यात्री को भी समय रहते अपने राह पर पहुंच जानी चाहिए ।


3.मुझसे मिलने को कौन विकल?

मैं हो किसके हित चंचल?

यह प्रश्न शिथिल करता पद को ,भरता उर में विह्वालता है।

दिन जल्दी जल्दी ढलता है।


class 12 दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं,


प्रसंग= इस पंक्ति के माध्यम से कभी कहते हैं, कि हमें अपना जीवन लक्ष्य रहित जीना चाहिए। 

हमें हमेशा लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना चाहिए । क्योंकि समय बहुत जल्दी बीत रहा है ।


व्याख्या- कभी कहते हैं कि जब तक मनुष्य को किसी से मिलने की इच्छा नहीं होती है। तब तक उसकी पैर की रफ्तार धीमी रहती है।

 इसका आशय है कि लक्ष्य प्राप्ति के बाद काफी सुखद अनुभव प्राप्त होता है। इसलिए हमें समय रहते ही जागरूक हो जाना चाहिए।
          

प्रश्न उत्तर का अभ्यास-class 12 | दिन जल्दी जल्दी ढलता हैं | हरिवंश राय बच्चन | आरोह काव्य खंड |

(नोट-दिए गए प्रश्न आत्म परिचय तथा दिन जल्दी जल्दी ढलता है से है)


1.कविता एक और जगजीवन का भार लिए घूमने की बात करती है, और दूसरी और मैं कभी ना जग का ध्यान किया करता हूं । विपरीत से लगने इन कथनों का क्या आशय है?

2.जहां पर दाना रहते हैं। वही नादान भी होते हैं । कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?

3.मैं और ,और जग ,और कहां का नाता- पंक्ति में और सब की विशेषता  बताएं।

4.शीतल वाणी में आग के होने का क्या अभिप्राय है?

5.बच्चे किस बात की आशा में नीडो से झांक रहे होंगे?

6.दिन जल्दी जल्दी ढलता है की आवृत्ति से कविता की किस विशेषता का पता चलता है?

class 12 दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं,

Hello guy'sआशा करता हूं कि इस ब्लॉग में मौजूद जानकारियां आपको अच्छी लगी होंगी| आपको यह ब्लॉक कैसा लगा ? 

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                                 धन्यवाद! 

                                 आपका Dreamer,



Dreamers

I am a story writer. I can write very interesting and impressive story

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