class 12 |camere mai band aapahij|raguweer sahaay |आरोह काव्य खंड|हिंदीकोर
लेखक- रघुवीर सहाय
कविता-कैमरे में बंद अपाहिज
जन्म- सन 1929 ,लखनऊ(उत्तरप्रदेश)
प्रमुख रचनाएं-आरंभिक कविताएं, महत्वपूर्ण काव्य संकलन सीढ़ियों पर धूप में ,हंसो हंसो और जल्दी हंसो, आत्महत्या के विरुद्ध आदि।
पत्रकारिता- ऑल इंडिया रेडियो के हिंदी समाचार विभाग से संबंधित रहे दिनमान से संबंध रहे आदि ।
सम्मान- साहित्य अकादेमी पुरस्कार।
निधन- सन् 1990 ,दिल्ली में।
कैमरे में बंद अपाहिज
प्रसंग- कैमरे में बंद अपाहिज कविता हमारी पाठ्यपुस्तक "आरोह भाग - 2 " से लिया गया है । इसके रचयिता "श्री रघुवीर सहाय"हैं ।
इस पंक्ति में कवि ने एक अपाहिज की दयनीय स्थिति का वर्णन किया है।
व्याख्या- कवि कहते हैं ,कि कहने को तो दूरदर्शन हमारे सामाजिक जीवन का पहरेदार है। वह समाज में फैली बुराई को खत्म करने में मदद करता है। दूरदर्शन दावे करता है कि वह एक दुर्बल लाचार अपाहिज का साक्षात्कार दिखाने का सच्चा समाज सेवक का दर्जा निभाता है ।
प्रसंग- कवि कहते हैं कि दृश्य संचार शारीरिक चुनौती झेल रहे व्यक्ति को अपमानित करने का प्रयास करता है।
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व्याख्या-कैमरे में बंद अपाहिज कविता में दृश्य संचार के माध्यम से लोग एक कार्यक्रम के द्वारा एक अपाहिज के दुख दर्द को सभी के सामने दिखाता है। परंतु इस प्रयास में लगे लोग जो खुद के भाग्य का को कोसते हैं। उनसे ऐसे प्रश्न पूछते हैं, जिससे वह स्वयं को अपमानित महसूस करते हैं।
वास्तव में इस कार्यक्रम में से जुड़े लोग अपने कार्यक्रम को दूसरे से अधिक रोचक बनाने का प्रयास करते हैं। ताकि उनका कार्यक्रम अच्छा चले । भला एक अपाहिज से ऐसा प्रश्न करना कि " आप अपाहिज क्यों हो " यह काफी अपमानजनक महसूस करआना होता है। इसके जवाब पर वह व्यक्ति चुप्पी थाम लेता है।
प्रसंग- कैमरे में बंद अपाहिज कविता में कभी कहते हैं ,कि दूरदर्शन अपना कार्यक्रम बेहतर बनाने के लिए आप मानवीय टिप्पणियों का सहारा लेते हैं। जिससे या एक संवेदनहीनता वाक्य बना लेते हैं ।
व्याख्या-एक दृश्य संचार माध्यम का कर्तव्य होता है,कि वह किसी की समस्या को बड़े वर्ग तक पहुंचाए लेकिन व्यवसायिक रवैया के कारण यह बड़ा अपमानजनक परिस्थितियां अपाहिज के सामने खड़ा कर देते हैं। वह अपाहिज व्यक्ति के साथ ऐसे गंभीर सवाल पूछते हैं,
जिससे कि वह अपना वाहवाही लूट सके अपने कार्यक्रम की सफलता के लिए वह अपाहिज से अपमानजनक सवाल पूछते हैं जिससे वह अपना कार्यक्रम दूसरों से अच्छा साबित कर सके। कैमरे में बंद अपाहिज कविता में इस अपाहिज का वर्णन किया गया है।
प्रसंग- इस पंक्ति में कवि रघुवीर सहाय वेदना बेचने वाले लोगों पर व्यंग करते हुए हमें कुछ बताते हैं।
व्याख्या -कैमरे में बंद अपाहिज कविता में दूरदर्शन कार्यक्रम के माध्यम से अपाहिज का दयनीय स्थिति दिखाया है। टेलीविजन कार्यक्रम ने सिर्फ अपना कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए अपाहिज को रुला देने का प्रयास किया है । जब वह परेशान होता है।
तो वह टेलीविजन कैमरे से उसकी दुख से भारी आंख को बड़ी से बड़ी करके दिखाता है । उसके होठों पर बेचैनी के भाव को दिखाता है । ताकि दर्शक वर्ग की प्रशंसा बटोर सके और उनके टेलीविजन कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़ सके।
प्रसंग- कैमरे में बंद अपाहिज कविता में कवि ने स्वार्थ के कारण संवेदनहीन हुए मनुष्य की ओर इशारा किया है ।
व्याख्या -संचार दृश्य माध्यम से जुड़े लोग एक अपाहिज तथा लाचार व्यक्ति को परेशान करने से रुकते नहीं है । वे उसे रुलाते जाते हैं तथा उसको परेशान करते रहते हैं । वह उसे उक्साते हैं जब तक कि वह रो ना पड़े। साथ साथ में दर्शक को भी बुलाते हैं। ताकि उनकी लोकप्रियता बड़े । कैमरे में बंद अपाहिज इसी पर आधारित है।
निष्कर्ष- इस कविता में कवि ने अपाहिज् जो दयनीय स्थिति मै हमें एक दूरदर्शन के माध्यम से दिखाई जाती है।इस दूरदर्शन पर व्यंग करते हुए हमें इस "कैमरे में बंद अपाहिज" कविता के द्वारा दर्शाया जाता है।
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