Ncert Class 12 Hindi Shram vibhajan summary | Dr.bhimraw ambedkar
बाबा साहेब
भीमराव अंबेडकर
जन्म- 14 अप्रैल 1891, महू (मध्य प्रदेश)
प्रमुख रचनाएं -द कॉस्टस इन इंडिया,
हु आर द शुद्रास, लेबर एंड पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी आदि।
निधन- दिसंबर सन् 1956 (दिल्ली में)
लेखक के बारे में- यह पाठ डॉक्टर भीमराव साहेब के प्रसिद्ध हिंदी रूपांतर जातिभेद का व्याख्या के तौर पर है । यह भाषण जाति-पाती तोढक मंडल के वार्षिक सम्मेलन के लिए तैयार किया गया था।
श्रम विभाजन और जाति प्रथा
इस पाठ में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने समाज में फैले जाति प्रथा के दुष्प्रभाव के बारे में बताया है। उनके अनुसार जाति प्रथा के आधार पर श्रम विभाजन करना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है ।
भारत में श्रम विभाजन के साथ श्रमिकों का भी विभाजन किया जाता है। जो विश्व के अनेकों समाजों में नहीं होता है। इस प्रकार का श्रम विभाजन देश के लोगों को विभक्त करता है, और समाज में बंटवारा करता है। जिसके कारण समाज में योग्यता पूर्ण व्यक्तियों को हानि का सामना करना पड़ता है।
देश के योग्यता के अनुसार श्रम विभाजन करना चाहिए। जिससे देश के लोगों में विभाजन ना हो। जाति प्रथा व्यक्ति के कार्य की सबसे बड़ी बुराई है। यदि व्यक्ति अपने कार्य को भविष्य में बदलना चाहे , तो वह तो वह इस जाति प्रथा के कारण नहीं बदल सकता है।
जिसके कारण देश में भुखमरी तथा बेरोजगारी बढ़ती जाती है।
जाति प्रथा के विभाजन के रूप
जाति प्रथा के विभाजन के रूप में व्यक्ति जो कार्य करता है। उसमें व्यक्ति की रूचि हो या ना हो उसे वह काम करना ही पड़ता है । जो उस व्यक्ति के लिए काफी दु:ख की बात होती है, और इसे समाज में योग्यता की भी हानि होती है।
इस तरह के कार्यों से व्यक्ति पर बोझ बनेगा और उस व्यक्ति को इस तरह के काम करने में कोई भी रुचि नहीं होगी। जिसके कारण वह व्यक्ति इस काम को टाल भी सकता है ।
जाति प्रथा देश को कमजोर बनाता है। इस प्रथा के अनुसार व्यक्तियों के विभाजन में श्रमिकों को ऐसे कार्य दिए जाते हैं। जिसको समाज में "घृणा" की दृष्टि से देखा जाता है। इस प्रकार जाति प्रथा देश के लोगों के बीच भेदभाव को जन्म देता है। जिसे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने इस कहानी के रूप में हमें बताया है।
Class 12 Hindi Shram vibhajan summary
- श्रम विभाजन कैसे समाज की आवश्यकता है
- जाति और श्रम विभाजन में बुनियादी अंतर क्या है श्रम विभाजन और जाति-प्रथा के आधार पर उत्तर दीजिए
- मेरी कल्पना का आदर्श समाज
- मेरी कल्पना का आदर्श समाज पाठ के लेखक कौन है
- कार्यकुशलता पर जाति प्रथा का प्रभाव
- लेखक जाति-प्रथा के किंग गंभीर दोषों का वर्णन करता हैजाति प्रथा के आधाि पिककया गया श्रम-विभाजन ककन कािर्ों से अस्िाभाविक माना जाता िैभारतीय समाज में श्रम विभाजन किस पर आधारित था'
- भातृता' का क्या महत्व है?
- श्रम विभाजन और जाति प्रथा Class 12 Summary
- श्रम विभाजन पर निबंध लिखिएश्रम विभाजन और जाति प्रथा के प्रश्न उत्तर
- श्रम-विभाजन और जाति प्रथा
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