class 12 political science part 2 chapter 5 hindi notes

कांग्रेस व्यवस्था को चुनौतियां तथा उसका पुनर्स्थापना Political Science Class 12 Chapter 2 notesclass 12 political science part 2 chapter 5 hindi notes


  • Class 12 Political Science chapter 1 PDFPolitical Science
  •  Class 12 Chapter 3 Notes in Hindi PDFPolitical Science Class 12 Chapter 1 Notes in hindi 2nd bookPolitical Science Class 12 Chapter 2 notesPolitical Science Class 12 in Hindi pdf
  • RBSE Class 12 Political Science Notes PDF downloadPolitical Science Class 12 Chapter 5 notes in Hindi 2nd book
  • Political Science Class 12 Chapter 5 Question Answers in HindiClass 12 Political Science Chapter 1 question Answer in HindiClass 12 Political Science Chapter 6 Notes in Hindi
  • Political Science Notes for Class 12 PDFPolitical Science Class 12 Chapter 1 Notes in Hindi PDF downloadclass 12 political science part 2 chapter 5 hindi notes


कांग्रेस व्यवस्था को चुनौतियां तथा उसका पुनर्स्थापना  Political Science Class 12 Chapter 1 Notes in hindi 2nd book



परिचय -सत्ता कदापि एक केंद्र पर नहीं रहती स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस पार्टी को सत्तापरिचय मिली। 1952,1957 तक 1962 के आम चुनावों में कांग्रेस ने अपनी छवि का लाभ उठाया। यह सब नेहरू के चमत्कारी नेतृत्व के कारण हुआ । लेकिन 1964 में उनके निर्धन के बाद स्थिति में परिवर्तन होना स्वभाविक हो गया।
1967 के चुनावों में कांग्रेस को भारी धक्का लगा ।केंद्र पर उसकी सरकार बनी रही। लेकिन राज्यों में अन्य दलों की सरकारें बनी। आश्चर्य की बात है कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेसी व्यवस्था को पुनः स्थापित कर दिया । निराशावादियों के पूर्व कथन झूठे सिद्ध हुए। 1971 के चुनावों में लोकसभा में कांग्रेस को भारी बहुमत मिला। 1972 के चुनाव के परिणामों ने राज्यों में भी कांग्रेस  की सरकार  स्थापित कि ऐसा लगा मानो कांग्रेस को अपना खोया हुआ स्वर्ग मिल गया ।

कांग्रेस व्यवस्था को चुनौतियां तथा उसका पुनर्स्थापना

लाल बहादुर शास्त्री(1894 -1966)
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री 1930 से स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी की।उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में मंत्री रहे । कांग्रेस पार्टी के महासचिव ।1951 से 56 तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री पद पर रहे। इसी दौरान रेल दुर्घटना की नेतृत्व जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने रेल मंत्री के पद से के पद से इस्तीफा दे दिया था ।1957 से 64 के बीच मंत्री पद पर रहे "जय जवान जय किसान" का मशहूर नारा दिया था।

कांग्रेस व्यवस्था को चुनौतियां तथा उसका पुनर्स्थापना

कांग्रेस विरोधवाद
मई 1964 में नेहरू के निधन के बाद कांग्रेस के प्रभुत्व का पतन शुरू हुआ। कामराज पार्टी के अध्यक्ष थे। शास्त्री जी को प्रधानमंत्री बनाया गया। जिसके पास नेहरु जैसा चमत्कारी व्यक्तित्व नहीं था ।1965 की लड़ाई में पाकिस्तान को करारी पराजय देकर शास्त्री जी ने अपने भीतरी व्यक्ति का परिचय दिया। लेकिन जनवरी 1967 में उनकी मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला। कामराज पार्टी के अध्यक्ष बने रहे । लेकिन अब पार्टी के पास कोई ऐसा महत्वपूर्ण नेता नहीं था जो राष्ट्रीय स्तर पर अपने दल को प्रभुत्व पूर्ण बना कर रख सकता ।

कांग्रेस की फूट व उसका पुनर्गठन
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है । इसमें कई बार फूट पड़ी जब इसका कोई वर्ग अलग हो गया। 1960 के सूरत अधिवेशन में उग्रवादियों ने हंगामा मचाया।सत्र  ठप हो गया तभी उग्रवादियों ने कांग्रेस छोड़ दी इसी को सूरत की फूट कहते हैं। 1920 के नागपुर अधिवेशन में गांधीजी के असहयोग कार्यक्रम की पुष्टि की गई तभी एनी बेसेंट जैसे वरिष्ठ सदस्यों ने कांग्रेस छोड़ दी इससे फूट पड़ी। इसे दूसरा उदाहरण कहा जा सकता है ।

कांग्रेस सिंडीकेट
सिंडिकेट कांग्रेस के अंदर शक्तिशाली एवं प्रभावशाली नेताओं का एक समूह था। इस समूह का दल पर पूर्ण नियंत्रण था तथा दल के नेता मद्रास प्रांत के भूतपूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष के कामराज थे । अन्य सदस्य थे- मुंबई के एस के पाटिल ,कर्नाटक के एस निजलिंगप्पा एस निजलिंगप्पा निजलिंगप्पा सिंडिकेट के सदस्य किंग मेकर की भूमिका निभाते थे।

कांग्रेस व्यवस्था को चुनौतियां तथा उसका पुनर्स्थापना

If you like my blog please 

Comment! 

It✍

Dreamers

I am a story writer. I can write very interesting and impressive story

Post a Comment

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post